प्रदेश में वन समितियों के माध्यम से 78 गौ-शालाएँ बनाई जाएंगी। तीस लाख रुपये प्रति गौ-शाला की दर से बनने वाली 50 गौ-शालाओं का 15 करोड़ रुपये का वित्त पोषण लघु वनोपज संघ और शेष 28 गौ-शालाओं के लिये 8 करोड़ 4 लाख रुपये का वित्त पोषण वन सुरक्षा समितियों को दी जाने वाली लाभांश की राशि से किया गया है। गौवंश को सतत चारा आपूर्ति के उद्देश्य से संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सहयोग से चारा उत्पादन के लिये उपयुक्त वन क्षेत्रों का चयन किया जा रहा है।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, संयुक्त वन प्रबंधन श्री चितरंजन त्यागी ने बताया कि अनाश्रित गायों के लिये गौ-शाला खोलना राज्य शासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। वन विभाग द्वारा गौ-शालाओं के लिये स्थल का चयन उस क्षेत्र में उपलब्ध अनाश्रित गौ-वंश के आधार पर किया गया है। सौ गायों की क्षमता वाली प्रत्येक गौ-शाला के लिये 30 लाख रुपये प्रति इकाई की दर से प्राक्कलन तैयार किये गए हैं। इसमें गायों के लिये शेड, चारे के लिये गोदाम और जल की व्यवस्था की गई है। अनाश्रित गायों को आश्रय मिल जाने से उन्हें उपचार और आहार की सुविधा मिलेगी। साथ ही, सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।