आगरा, 29 जून, 2021: शीतगृह स्वामी के इकलौते युवा बेटे सचिन की हत्या करने वाले ने पेशेवर अपराधियों से भी अधिक प्लानिंग की थी ताकि वो पकड़ा न जाए। बता दें कि घटना का सूत्रधार हर्ष, सचिन का ही पक्का दोस्त निकला तो इस वारदात को अंजाम देने के लिए पूरी प्लानिंग करने वाला दूसरा दोस्‍त सुमित था। उन्होंने साधारण तरीके से गला दबाकर हत्या की इसके   बाद दृश्यम मूवी की तरह पुलिस सुबूत मिटाने और पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की थी। मगर, एसटीएफ टीम वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर उन तक पहुंच गई। इसके बाद ही परत दर परत मामला खुलता गया।

ये था मामला

दयालबाग के जयराम बाग निवासी सुरेश चौहान का 25 वर्ष का बेटा सचिन चौहान 21 जून को दोपहर साढ़े तीन बजे घर से निकला था। इसके बाद वापस नहीं आया। दूसरे दिन उन्होंने न्यू आगरा थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। 23 जून से इस मामले में एसटीएफ लगा दी गई। एसटीएफ की टीम ने रविवार रात को वाटरवर्क्स चौराहा के पास से दयालबाग में तुलसी विहार निवासी सुमित आसवानी, कमला नगर निवासी हैप्पी खन्ना, मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा, रिंकू और दयालबाग के सौरभ निकुंज निवासी हर्ष चौहान को गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से सात मोबाइल, 1200 रुपये ओर दो कार बरामद कर लीं। आरोपितों ने पूछताछ में घटना कुबूल ली।

ये की थी प्लानिंग

सचिन को घर से बुलाने को आरोपित ने वाट्सएप काल की, जिससे काल डिटेल में उसका नंबर नहीं आए। पार्टी के बहाने सचिन कों एकांत में ले गए। वहां मनोज निगरानी पर रहा। हैप्पी ने हाथ और रिंकू ने पैर पकड़ लिए। सुमित ने उसका गला दबाया। मुंह पर टेप लगाया और चेहरे पर लेमीनेशन वाली पालीथिन चिपका दी, जिससे गले और चेहरे पर निशान न बनें। सांस थमने के बाद टेप और पालीथिन हटा दी। वे लोग पीपीई किट खरीदकर ले गए। शव को कोरोना संक्रमित बता दिया, जिससे कोई नजदीक भी नहीं आए तथा चार-पांच युवकों के अंतिम संस्कार करने पर कोई शक भी नहीं करे।

दूसरे दिन बल्केश्वर श्मशान घाट पर जाकर अस्थियों कों चुन लिया। उनका यमुना में विसर्जन कर दिया, जिससे डीएनए मिलान को भी कोई साक्ष्य न बचे। मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा को सचिन का मोबाइल लेकर भेज दिया गया। सचिन का फ़ोन कानपुर और लखनऊ तक भेजा, जिससे सचिन के मोबाइल की लोकेशन लखनऊ में आए और उन पर शक न हो। हर्ष पूरी घटना का सूत्रधार होते हुए भी सचिन के स्वजन के साथ रह रहा था। वह हर जगह सचिन की तलाश कराने साथ जा रहा था। यहां तक कि एसटीएफ को जांच में सहयोग भी कर रहा था, जिससे उस पर किसी को शक न हो।