पुणे : “नई शिक्षा नीति में छात्रों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रावधान किए गए हैं. यदि इन प्रावधानों का अध्ययन किया जाए और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो एक प्रतिभाशाली युवा तैयार होंगे. अपने देश में गांव, शहर और छोटे शहर के छात्र होते है. इन सभी का विचार करके उनकी गुणवत्ता को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इस पर विचार करना जरुरी है, ऐसा मत नॅशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिएशन के  चेअरमन प्रा. के. के. अगरवाल ने साझा किया.
पुणे के सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट्स और नई दिल्ली के सेंटर फॉर एज्युकेशन ग्रोथ अँड रिसर्च (सीईजीआर) इनके संयुक्त रूप से ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और गुणवत्ता सुधार’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे. इस वक्त अखिल भारतीय तंत्रशिक्षण परिषद (एआयसीटीई) संचालक लेफ्टनंट कर्नल कैलास बन्सल, ‘सीईजीआर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और शोबित विद्यापीठ के कुलपती कुंवर शेखर विजेंद्र, सर पद्मपंत सिंघानिया विद्यापीठ के कुलगुरू प्रा. श्रीहरी, सेज विद्यापीठ भोपाल के कुलगुरू प्रा. डॉ. व्ही. के. जैन, सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष और सीईजीआर’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, आयआयएम विद्यापीठ के कुलगुरू प्रा. विकास सिंग, एक्झिम ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के महाव्यवस्थापक प्रा. के. पी. इसाक, ‘सूर्यदत्ता’ के समूह संचालक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रा. डॉ. शैलेश कासंडे आदी उपस्थित थे.
प्रा. के. के. अगरवाल ने कहा, “छात्रों को तैयार करने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. इसलिए उनके पढ़ाने के तरीके में बदलाव होना चाहिए. छात्र सक्रिय होने चाहिए, सीखने के लिए उत्सुक होने चाहिए. हर शिक्षण संस्थान में आने वाले छात्रों की पार्श्वभूमी अलग-अलग होती है. इसलिए, सभी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रख कर, सुविधाओं का निर्माण किया जाना चाहिए. नई चुनौतियों को समझकर शिक्षा नीति को लागू किया जाए. रोजगार और कौशल उन्मुख शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए.”
कैलास बन्सल ने कहा, “शिक्षा व्यवस्था में कई सुधार हो रहे है. यदि प्रगत शिक्षा के साथ-साथ मूल्य-आधारित और भारतीय संस्कृति को पढ़ाया जाए, तो छात्रों का सर्वांगीण विकास होगा. उनकी कलात्मकता, नवाचार और सक्रियता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नए उपक्रम लागू किये जा रहे है. नई शिक्षा नीति के अनुसार हमें नए सुविधाओं के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए. छात्रों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाना चाहिए. इसके लिए सभी शिक्षण संस्थानों की पहल महत्वपूर्ण होगी.”
प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा, ” छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और नई शिक्षा प्रदान करने के लिए नए उपक्रमों को लागू करने की आवश्यकता है. औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थानों के बीच में हुए बातचीत का नए अवसर पैदा करने में उपयोग होगा. इसलिए यह संवाद बढ़ना चाहिए. नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को समझते हुए हम सभी को शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने में अपना योगदान देना चाहिए. देश और समाज के विकास में योगदान देने वाली युवा पीढ़ी का निर्माण करना हमारी जिम्मेदारी है. अनुसंधान, नवाचार और कौशल उन्मुख पाठ्यक्रमों पर जोर दिया जाना चाहिए. नई नीति छात्रों के समग्र विकास को प्रभावित करेगी.”
प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने संमेलन का संचालन किया. कुंवर शेखर विजेंद्र ने स्वागत भाषण दिया.