पटना, मार्च 8, 2021: NFHS- 5 के आकड़ों में कई सुचिकांको में प्रगति हुई है किन्तु जन्म के समय लिंगानुपात के प्रति और कार्य किये जाने की आवश्यकता है, उक्त बातें विकास आयुक्त आमिर सुबहानी ने कहा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर आद्री तथा महिला विकास निगम, बिहार के संयुक्त तत्वाधान में “महिला सशक्तिकरण – मुद्दे, साक्ष्य और नीति प्रतिक्रिया” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस का उद्घाटन विकास आयुक्त आमिर सुबहानी ने किया गया। इस मौके पर सुबहानी बोल रहे थे।

उन्होंने सुझाव दिया की बाल विवाह एवं दहेज़ के साथ कन्या भ्रूण ह्त्या को जोड़ कर जनांदोलन चलाया जाना चाहिए।

महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हारा ने कहा, “महिला सशक्तिकरण के कई आयाम है अत: इसके लिए समेकित रूप से प्रयास करना होगा। साथ ही घरेलू कार्यों को भी मान्यता दिए जाने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि लैंगिक समानता की शुरुआत परिवार से होना चाहिए। आज महिलाएं कई ऐसे क्षेत्रों में बढ़ रही है, जो पहले उनके लिए वर्जित माना जाता था।”

इस कांफ्रेंस में महिला विकास निगम की दो पूर्व प्रबंध निदेशक गन्ना उद्योग विभाग की प्रधान सचिव डॉ एन विजयलक्ष्मी और सहकारिता विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी द्वारा अलग-अलग सत्रों में अपने विचार को रखा गया। इनके अतिरिक्त अनु o जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के सचिव देवेश सेहरा, कम्फेड की प्रबंध निदेशक शिखा श्रीवास्तव और यूनिसेफ की प्रमुख बिहार नफीसा विन्से शफीक के अलावा विभिन्न संगठनो के विशेषज्ञों द्वारा भी अपने विचार रखे गए।

उद्घाटन सत्र में आद्री के सदस्य सचिव प्रोफसर प्रभात घोष ने बताया कि महिला सशक्तिकरण के लिए अध्ययन एवं अनुसंधान काफी महत्त्वपूर्ण है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम “महिला सशक्तिकरण – मुद्दे, साक्ष्य और नीति प्रतिक्रिया “ में कुल पांच सेशनों में लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण – बढ़ाएं और निवारण, कोरोना काल के उपरान्त महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनौतियां, जेंडर एवं स्वास्थ्य – मुद्दे, साक्ष्य और नीति प्रतिक्रिया और महिला – खेती और सहकारिता पर चर्चा की गई।

अनुo जाति एवं जनजाति विभाग के सचिव देवेश सेहरा ने कहा, “श्रम एवं रोजगार के आंकड़ो को जेंडर के आईने से देखने की आवश्यकता है। साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं स्वयं निर्णय लें तभी बदलाव आएगा।”

डॉ एन विजयलक्ष्मी ने कहा, “कोविद के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा परेशानी हुई है। सरकार इस सम्बन्ध में सजग है और विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से विभिन्न कार्य किये जा रहे है।”

वंदना प्रेयशी ने लिज्जत पापड़ का उदहारण देते हुए कहा, “ महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण में सहकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका है और सहकारिता ने विकास प्रक्रियाओं में आम लोगों की सहभागिता से समाज में बदलाव रेखांकित किया है।

शिखा श्रीवास्तव ने कहा, “ राज्य की दुग्ध उत्पादक समितियों में महिलायें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं और उससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।”