पुणे : “रक्तदान के प्रति समाज में आज भी जागरूकता की जरूरत है. रक्तदान सबसे अच्छा दान है और इससे तैयार होने वाला रक्त का रिश्ता सर्वश्रेष्ठ होता है. रक्त के इसी रिश्ते के कारण ६५ वर्ष में आज भी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा हूँ. कोरोना काल के दौरान हम हजारों लोगों को रक्त और प्लाज्मा पंहुचा सके और हजारों लोगों की जान बचा सके,” ऐसी भावना रक्ताचे नाते चॅरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक राम बांगड ने व्यक्त की.

जागतिक रक्तदाता दिन के अवसर पर सुर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट की और से जागृती कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस वक्त १४७ बार रक्तदान किये हुए राम बांगड को ‘सुर्यदत्ता जीवनदाता पुरस्कार-२०२१’ से सन्मानित किया गया. ‘सूर्यदत्ता’ के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, अधिष्ठाता प्रा. डॉ. प्रतिक्षा वाबळे, सौ. बांगड, प्रा. सुनिल धाडीवाल, टीचर और स्टाफ उपस्थित थे.

राम बांगड ने कहा, “रक्ताचे नाते संस्था के माध्यम से साथियों के साथ खून देने का काम दिन-रात चल रहा है. इस कार्य में हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है. रक्तदान से किसी व्यक्ति की जान बच सकती है यह हमें पता है. इसके अलावा, प्रगत तकनीक से रक्त के विभिन्न घटकों का उपयोग उपचार के लिए किया जा रहा है. कोरोना काल में प्लाज्मा का उपयोग हमने देखा है.”

प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा, “बांगड के जैसा व्यक्तित्व इंसानियत की परछाई होती है. उनका कार्य अनोखा है. उनको सन्मानित करके बहोत ख़ुशी हो रही है. उनके हाथों ऐसी ही सेवा निरंतर होती रहे. उनके इस कार्य में सूर्यदत्ता परिवार हमेशा उनके साथ है.”

योगशिक्षिका सोनाली ससार ने रक्तदान और स्वास्थ पर उपस्थित लोगों से बातचीत करके, प्रैक्टिकल दिखा के उनको इसका महत्व समझाया.