पटना, अप्रैल 16, 2021: खगड़िया में स्कूल-कोचिंग खोलने को लेकर आवाज उठा रहे एआईएसएफ के राज्य उपाध्यक्ष रजनीकांत, शिक्षक मनीष सिंह एवं ज्योतिष कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने को एआईएसएफ ने शर्मनाक बताया है।

जारी बयान में एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार एवं राज्य सचिव रंजीत पंडित ने कहा कि चुनाव में बड़ी-बड़ी सभा, मॉल, सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट, बस-ट्रेन का संचालन कुछ शर्त के साथ हो सकता है, तो शैक्षणिक संस्थानों का संचालन क्यों नही?

उन्होंने कहा कि सरकार को इस मसले पर छात्र एवं शिक्षकों से वार्ता करनी चाहिए थी। उसकी बजाय सरकार से मांग कर रहे छात्र नेताओं एवं शिक्षकों को जेल भेज सरकार साबित करना चाहती है कि उसको लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर कोई भरोसा नहीं है। एआईएसएफ नेताओं ने जेल भेजे जाने के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने एवं जेल भेजे गए छात्र नेता एवं शिक्षकों को शीघ्र रिहा किया जाये।

विदित हो कि गुरुवार को खगड़िया में शैक्षणिक संस्थानों को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत खोलने को लेकर हजारों छात्र एवं शिक्षकों ने चरणबद्व आंदोलन पर थे। गुरुवार को भी छात्र, शिक्षक एवं अभिभावकों ने अपने गुस्से का इजहार किया था। जिसके बाद गुरुवार शाम  को एआईएसएफ के राज्य उपाध्यक्ष रजनीकांत, शिक्षक मनीष सिंह सहित तीन शिक्षकों को कल देर शाम गिरफ्तार कर गायब कर दिया था और आज आज तीनों लोगों को नौगछिया जेल भेज दिया है।

एआईएसएफ नेताओं ने कल महामहिम राज्यपाल की अध्यक्षता में भी इन मसलों बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में इन बातों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की मांग राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से करते हुए जबरिया लॉक डाउन थोपने से बाज आने को कहा। छात्र नेताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार ने शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा को बदहाल कर दिया है। स्कूलों में शिक्षक नही है तो अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स नहीं है। शिक्षा-स्वास्थ्य की बजट में लगातार कटौती की जा रही है। कैग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि बिहार में 69 फीसदी डॉक्टर, 92 फीसदी नर्स और 56 फीसदी शिक्षकों की कमी है। वही कोरोना फैलने के बाद भी बजट में कटौती किया जाना जाहिर करता है कि सरकार के प्राथमिकता में स्वास्थ्य सेवा है ही नही। दरअसल कोरोना महामारी ने एक साल से अधिक का वक़्त दिया लेकिन सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया।

एआईएसएफ नेताओं ने पटना के मेदांता जैसे बड़े अस्पतालों को तत्काल कोविड अस्पताल घोषित करने के साथ स्वास्थ्य सेवा का राष्ट्रीयकरण करने की मांग की है।