पुणे : वन लेस, फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज और मुकुल माधव फाउंडेशन और सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ के सायन्स टेक्नॉलॉजी पार्क इन संस्था के संयुक्त रूप से पुरंदर तालुका के पानवडी गाव में वृक्षारोपण किया गया. अगले तीन साल में इस गाँव में ५० हजार फलों के पेड़ लगाए जायेंगे. इस अभियान का शुभारंभ मंगलवार को हुआ. इस वक्त आम, फणस, सीताफल, आवला, पेरू, इमली आदी ५०० पेड़ लगाए गये.
सायन्स टेक्नॉलॉजी पार्क के महासंचालक डॉ. राजेंद्र जगदाले, फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज के मनुष्यबल विभाग के अध्यक्ष राज लुईस, डॉ. प्रशांत वार्के, पुरंदर पंचायत समिती के सभापती नलिनी लोले, सायन्स टेक्नॉलॉजी पार्क में के पूजा कंवर, आरती सूद, प्रकल्प समन्वयक वैभव निमगिरे, सन्मती शेडगार, सरपंच आबासाहेब लोले, उपसरपंच माउली भिसे, माजी सरपंच सुषमा भिसे, ग्राम सेवक सुनीता सपकाळ और ग्रामस्त उपस्थित थे.
डॉ. राजेंद्र जगदाले ने कहा, “पानवडी गाव में फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज, मुकुल माधव फाउंडेशन और सायन्स टेक्नॉलॉजी पार्क के कोशिश से कई उपक्रम शुरू है. इसमें “वन लेस” ये नया समूह आज जुड़ा है इसकी ख़ुशी हो रही है. यहाँ के पहाड़ी क्षेत्रों में आगामी समय में ५० हजार फल के पेड़ लगाने का, और भविष्यकाल में फलप्रक्रिया उद्योग शुरू करके लोगों को रोज़गार देने का प्रयास करेंगे. वैज्ञानिक मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता दी जा रही है. इन पेड़ों की देखभाल यहां के किसान करेंगे. कई लोगों ने पौधारोपण के लिए जगह दी है. प्रकृति संरक्षण के लिए इन लोगों की पहल प्रेरणादायी है.”
राज लुईस कहा, “पर्यावरण संवर्धन के लिए फिनोलेक्स और मुकुल माधव फाउंडेशन हमेशा तत्पर रहते है. शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ भारत आदी क्षेत्र में लायन्स क्लबने उल्लेखनीय कार्य किया है.” इस पौधारोपण अभियान की वजह से पानवडी गाव हराभरा होगा, और भविष्य में मीठे फल भी स्थानिक लोगों को मिलेंगे. गांव के सभी लोग इन पेड़ो की देखभाल करेंगे, ऐसा आबासाहेब लोले ने बताया.
“पिछले दो साल से फिनोलेक्सने यहाँ पे २४०० पेड़ लगाए है. २५ एचपी सोलर पंप भी लगाए है. इस वजह से यहाँ के ६७० परिवार को खेती और रोज के उपयोग के लिए पानी उपलब्ध हुआ है. पौधारोपण से प्रकृति संवर्धन, रोज़गार निर्माण होगा. पर्यावरण संवर्धन और महिला सशक्तिकरण ऐसे दो पहल इससे प्राप्त होंगे इसकी ख़ुशी है,” ऐसा मुकुल माधव फाउंडेशन के व्यवस्थापकीय संचालिका रितू प्रकाश छाब्रिया ने बताया.