पटना, 16 मार्च, 2021: लोकसभा में वर्ष 2021-22 के लिए शिक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने इसे भारत को विश्वगुरु बनाने की तरफ उठा एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया।
संबोधन की शुरुआत में उन्होंने शशि थरूर द्वारा द्वारा सैनिक स्कुल खोलने की चुनौती पर चुटकी लेते हुए उन्हें बजट को ठीक से पढने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जो हमारे सैनिक स्कुल हैं उन्हें खोलने का काम शिक्षा मंत्री का नहीं होता बल्कि रक्षा मंत्रालय का होता है. उन्होंने कहा कि थरूर जी की अंग्रेजी और ज्ञान के हम सभी कायल हैं। वह किस ज्ञान के आधार पर रक्षा मंत्रालय के काम के बारे में शिक्षा मंत्री से पूछ रहे है, अगर वह भी बता देतें तो अच्छा होता।
कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर देश में शिक्षा के क्षेत्र में कोई सकारात्मक बदलाव लाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “नई शिक्षा नीति का लक्ष्य बुनियादी शिक्षा से अनुसंधान एवं पेटेंट तक आमूलचूल बदलाव लाकर भारत को 2047 यानी आजादी के सौ वर्ष पूर्ण होने पर विश्वगुरू बनाने का है। उन्होंने कहा कि भारत को अगर विश्व गुरु बनना है तो भारत के अपने साहित्य से, अपने ज्ञान से अपने लेखकों कवियों और अपनी भाषा से ही बन सकता है और इसके लिए माननीय शिक्षा मंत्री ने जो काम किया है उसके लिए उन्हें साधुवाद और बधाई।”
डॉ जायसवाल ने कहा कांग्रेस ने पुरानी चली आ रही शिक्षा में बदलाव के लिए कुछ नहीं किया बल्कि संस्कृत भाषा और प्रेमचन्द, रामधारी सिंह दिनकर जैसे भारत के विद्वानों और साहित्यकारों से पीछे रखने का प्रयास किया। उन्होंने किस कदर शिक्षा को बदहाल करने का प्रयास किया, इसका एक प्रमुख उदहारण 2009 में लाई गयी बच्चों को अनुत्तीर्ण नहीं करने संबंधी नीति है।
केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा इस बजट में विश्वस्तरीय संस्थानों के लिए 176 प्रतिशत राशि वृद्धि की गयी है और डिजिटल ई-लर्निंग में 20 प्रतिशत आवंटन बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि भारत पेटेंट कराने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है और भारत सरकार अनुसंधान के प्रति गंभीर है। नयी शिक्षा नीति युवाओं में अनुशासन, जिज्ञासा, रचनात्मकता का भाव लाने और उनके विकास के प्रति समर्पित है।
डॉ जायसवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत को भारतीयता का भान कराएगी। मुगलों और विदेशी आक्रांताओं को महिमा मंडित करने वाली शिक्षा नीति से नई शिक्षा नीति मुक्ति दिलाएगी. इसके लिए विशेष तौर पर शिक्षाविद् और माननीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी को आभार प्रकट करता हूं।
उन्होंने देश में चल रहे कोचिंग संस्थानों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों के नियमन को लेकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 10वीं कक्षा से पहले किसी कोचिंग संस्थान में मेडिकल या इंजीनियरिंग को लेकर चर्चा नहीं होनी चाहिए। अगर बच्चे शुरू से ही इस बारे में सोचेंगे तो उनका विकास कैसे होगा।