पटना, मार्च 10, 2021: बिहार सरकार में कार्यरत महिला कर्मियों को अब अपने बच्चों उचित देखभाल के लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं। महिला विकास निगम, समाज कल्याण विभाग के द्वारा सचिवालय परिसर में कामकाजी महिलाओं के 05 वर्ष तक के उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित एवं उचित देखभाल के लिए स्थापित तीन पालनाघरों का उद्घाटन समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी द्वारा फीता काट कर किया गया।

इस मौके पर समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद, महिला विकास निगम की प्रबंध निदेषक हरजोत कौर बम्हरा और मिथिलेश मिश्रा, जेल महानिरीक्षक भी उपस्थित थे।

मदन सहनी ने कहा कि कामकाजी महिलाओं के लिए पालनाघर की आवश्यकता रही है जिसे देखते हुए अभी तीन पालनाघर की स्थापना महिला विकास निगम द्वारा किया गया है। जहां भी 25 महिलायें कार्यरत होंगी और उनके साथ 10 बच्चे होंगे, उनकी आवश्यकता के अनुसार पालनाघर स्थापित किया जायेगा और इसकी संख्या बढ़ायी जायेगी।

उन्होंने कहा कि जहां भी आवश्यकता होगी, इसे विस्तारित किए जाने की योजना है। सहनी ने कहा कि गांव में लोग अपने कलेजे के टूकड़े को अपने से दूर नहीं रखना चाहते हैं फिर भी यदि गांव के लोगों की आवश्यकता होगी तो सरकार गांवों में भी पालनाघर स्थापित करेगी।

मदन सहनी ने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए अनेक योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन महिला विकास निगम एवं समाज कल्याण विभाग के माध्यम से किया जा रहा है। पलनाघर महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक पहल साबित होगा क्योंकि अक्सर कामकाजी महिलायें अपने छोटे बच्चों के कारण बीच में ही नौकरी छोड़ देती हैं। पालनाघर के कारण महिलायें बीच में ही अपने जाॅब को छोड़कर नहीं जायेगी।

महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 2017 के अन्तर्गत जिन संस्थानों में 50 या उससे ज्यादा महिलायें कार्यरत हैं, उन्हें अपने संस्थान में पालनाघर स्थापित करना है तथा उसका संचालन करना है। बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अन्तर्गत यदि किसी संस्थान में 25 महिलायें कार्यरत हैं और उनके साथ बच्चे हैं तो ऐसे संस्थानों में पालनाघर स्थापित करने की स्वीकृति दी है। ऐसे संस्थान यदि पालनाघर की स्थापना के लिए आगे आते हैं तो महिला विकास निगम द्वारा उन्हें सहयोग प्रदान किया जायेगा। पालनाघर स्थापित करना और संचालित करना संस्थानों के लिए वैधानिक रूप से आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पालनाघर में 10 बच्चों के रहने की व्यवस्था की गयी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चार साल पहले आयोजित ’’लोक संवाद’’ कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग एवं मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अन्तर्गत स्वीकृत कामकाजी महिलाओं के 05 वर्ष तक के छोटे बच्चों को कार्यस्थल के आस-पास उचित देखभाल के उद्देश्य से पालनाघर की स्थापना एवं संचालन की स्वीकृति दी गयी है। वर्तमान में मातृत्व लाभ अधिनियम, 2017 के अनुसार, प्रत्येक ऐसे संस्थान जिनमें 50 महिलायें कार्यरत हैं और उनके साथ छोटे बच्चे हैं, तो वैसे सभी संस्थान में पालनाघर की स्थापना एवं संचालन की जिम्मेवारी संस्थान को दी गयी है। साथ ही, प्रत्येक पालनाघर में प्रतिदिन उन्हें ब्रेस्ट फीडिंग के लिए चार बार जाने की अनुमति संस्था प्रधान द्वारा दिए जाने का निर्देश भी दिया गया है।

पालनाघरः एक ऐसी सुविधा जिसमें कामकाजी माता-पिता अपने 05 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चे को अपने कार्य के दौरान छोड़ जाते हैं तथा वहां बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध होता है। यहां बच्चों को समूह में देखभाल की सुविधा दी जाती है, जिससे उनके व्यक्तित्व निर्माण के लिए एक सकारात्मक वातावरण प्राप्त होता है।

उद्देश्यः कामकाजी महिलाओं को उनके कार्य के दौरान उनके 05 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों की कार्यलय अवधि में देखभाल की सुविधा मुहैया कराना, बच्चे के पोषण एवं स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाना, बच्चे का सामाजिक, भावनात्मक एवं भौतिक यानि सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना।

सेवाएं:
बच्चों को सोने सहित दिन में देखभाल की सेवाएं,
बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा मुहैया करना,
उचित पोषण,
बच्चों के विकास का अनुश्रवण,
बच्चों के मनोरंजन हेतु खेल – कूद का प्रबंध।
लक्षित समूहः कामकाजी महिलाओं के 06 माह से उपर एवं 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे।
लाभार्थियों की संख्याः प्रति इकाई अधिकŸाम 10 बच्चे।

राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वैसे संस्थान में जिनमें 25 या इससे ज्यादा महिलायें कार्यरत हैं तथा उनके साथ छोटे बच्चे हैं, उनमें उन संस्थानों के प्रधान द्वारा पालनाघर की स्थापना की जानी है तथा उनका संचालन किया जाना है। इसके लिए सरकार द्वारा संबंधित संस्थान को मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अन्तर्गत सहयोग प्रदान किया जाना है। पालनाघर की स्थापना से कामकाजी महिलाओं को कार्य सम्पादन में सहायता मिलेगी तथा उनकी उत्पादकता बढ़ेगी।

सचिवालय परिसर में पहली बार महिला विकास निगम द्वारा कुल तीन पालनाघर की स्थापना एवं संचालन का निर्णय लिया गया है। मार्गदर्शिका के अनुसार, प्रत्येक पालनाघर में एक क्रेच वर्कर एवं एक क्रेच हेल्पर को नियोजित किया जायेगा।
संस्थान में महिलाओं की संख्याः 25
प्रत्येक संस्थान में बच्चों की संख्यः 10
प्रत्येक पालनाघर में कर्मियों की संख्याः 02