दिनांक 26-11-22 को रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (द.क.), पुणे कार्यालय में “संविधान दिवस” के पावन अवसर पर कार्यालय के प्रांगण में स्थित कमल बगीचे में भारतीय संविधान के प्रमुख रचयिता भारतरत्न, ज्ञान के प्रतीक, अनेकानेक विषयों के विद्वान, समता-मानवता के दूत परमपुज्य डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर के प्रतिमा का अनावरण रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक डॉ राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से, एनडीसी के करकमलों द्वारा बहुत ही हर्षोल्लास के साथ किया गया।

संविधान दिवस के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन कार्यालय के “स्वराज्य” सभागृह में किया गया जहां सर्वप्रथम श्रीमती नीलिमा वाईकर, भा.र.ले.से., रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक द्वारा मुख्य अतिथि रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक डॉ राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से, एनडीसी को पुष्पगुच्छ भेंट कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात, रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक डॉ राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से, एनडीसी तथा उपस्थित सभी अन्य भारतीय रक्षा लेखा सेवा अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर भारतरत्न डॉ बी.आर. आंबेडकर की प्रतिमा को पुष्पमाला व पुष्प अर्पित किए गए। तदोपरांत, डॉ अनिल कुडिया, सहायक निदेशक (राजभाषा) तथा श्री रवि कुमार, वरिष्ठ लेखा अधिकारी(प्रशा.) द्वारा क्रमशः हिन्दी तथा अंग्रेज़ी में भारतीय संविधान की “उद्देशिका” का वाचन किया गया, जिसे सभी उपस्थितों द्वारा उनके पीछे-पीछे दोहराया गया।

अपने प्रारम्भिक सम्बोधन में श्री आलोक तिवारी, भा.र.ले.से, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक ने कहा कि हमारा आदर्श संविधान को बनने में वास्तविक कितना समय लगा तथा इसे बनाने में 7 सदस्यों के मसौदा समिति के अन्य सदस्य किसी न किसी कारण से उपलब्ध नहीं हो पाए तथा अंततः संविधान बनाने की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी कैसे भारतरत्न डॉ बी.आर. आंबेडकर के कंधों पर आ पड़ी, जिसे उन्होने दिन-रात जाग कर बहुत ही गहन निष्ठा व ज़िम्मेदारी से निभाया। उन्होने आगे इस बात पर ज़ोर दिया कि बाबा साहेब की तरह ही हमे अपने अधिकारों से पहले अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक व सजग रहना चाहिए।

अपने अतिथिय वक्तव्य को डॉ महेश दले, भा.र.ले.से, रक्षा लेखा संयुक्त नियंत्रक ने तीन हिस्सों में प्रस्तुत किया, जिसमें बालक भीमराव कैसे देश विदेश में शिक्षा प्राप्त करते हुए विधिवत्त विश्व विख्यात विद्वान कहलाए जाते हैं, विविध सामाजिक आंदोलन करते हैं, पत्र-पत्रिकाएँ निकालते हैं, राजनीतिक दल कि स्थापना करते हैं और शोषित दलित जनता द्वारा बाबा साहेब नाम की लोक उपाधि प्राप्त करते हैं । दूसरे हिस्से में उन्होने समता, न्याय, बंधुता को आधारभूत मूल्य बनाकर सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से आगे बढ्ने के समान अवसर देने वाले हमारे संविधान पर सम्पूर्ण प्रकाश डाला। तीसरे चरण के वक्तव्य में उन्होने हमे सदैव सजग रहते हुए संविधान की रक्षा करने की नसीहत दी ताकि हम सदैव अपनी हर प्रकार की आज़ादी को अबाधित व बरकरार रख सकें।

दिनांक 19/11/22 से 25/11/22 के दौरान कार्यालय में आयोजित सांप्रदायिक सद्भवाना सप्ताह में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार आदरणीय रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक महोदय तथा उपस्थित सभी भारतीय रक्षा लेखा सेवा अधिकारियों के करकमलों द्वारा प्रदान किए गए। पुरस्कारों में विशेष उल्लेखनीय यह रहा कि आउटसोर्सिंग के कर्मियों को भी उनके विशेष योगदान व परिश्रम के लिए नगद पुरस्कार से नवाजा गया।

“संविधान दिवस” के पावन-पवित्र अवसर पर अपने विद्यवत्तापूर्ण , ओजस्वी उद्बोधन में रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक डॉ राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से, एनडीसी, ने सर्वप्रथम सभी उपस्थितों का और विशेष रूप से उपस्थित सेवानिवृत्त भा.र.ले.से. अधिकारियों का हृदय से स्वागत किया। संविधान सभा के गठन से लेकर संविधान के पूर्ण रूप से तैयार होने तक की गाथा एवं तथा पाठशाला में कक्षा के बाहर बैठने वाले सभी अधिकारों से वंचित डॉ बी.आर. आंबेडकर का देश विदेशों में 32 सर्वोच्च डिग्रियाँ प्राप्त करना, 64 विषयों का ज्ञाता होना, पाँच लाख पुस्तकों का अध्ययन करना तथा एक संघर्षरत मानव से महामानव में परिवर्तित होने कि पूर्ण प्रक्रिया को सबके सामने रखा। आगे उन्होने समूची मानव सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालते हुए आदिवासी व जनजातीय सभ्यताओं के जनपद व महाजनपदों में व्याप्त प्रजातंत्र को अधोरेखित करते हुए चातुरवर्ण व्यवस्था, जाती प्रथा इत्यादि की कुरीतियों की ओर इशारा करते हुए समता व मानवतावादी दृष्टिकोण रखने वाले बुद्ध, कबीर और फुले को याद किया।

आगे उन्होने बताया कि विविध भाषा, धर्म, पंथ, जात, प्रांत और अनेक रियासतों में विभाजित लोगों को एक करना बहुत मुश्किल कार्य था, जिसे डॉ बी.आर. आंबेडकर ने एक सर्वसमावेशी संविधान लिख कर सभी को एकता व अखंडता का सूत्र देते हुए एक नए राष्ट्र के निर्माण में एक अहम भूमिका निभाई। यह संविधान हमारे लिए ही बना है, इसे संभालने व इसके अनुपालन की ज़िम्मेदारी भी हमारी है। यहाँ बाबा साहेब का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर देश को चलाने वाले लोग नेक नियत वाले न हो तो कितना भी अच्छा संविधान हो, वह किसी कम का नहीं है। अतः हमे इस समता, न्याय व बंधुता जैसे सिद्धांतों वाले संविधान के नैतिक मूल्यों का हल हल में जतन करता चाहिए।

डॉ बी.आर. आंबेडकर की अनेक महानताओं को याद दिलाते हुए उन्होने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने बाबासाहेब के स्कूल में दाखिल होने का प्रथम दिन अर्थात 7 नवम्बर को “विद्यार्थी दिवस” और उनके जन्मदिन 14 अप्रैल को “ज्ञान दिवस” के रूप में घोषित किया है।
इस पावन अवसर पर अदरणीय रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक डॉ राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से, एनडीसी के करकमलों द्वारा अधिकारियों को संविधान कि प्रतियाँ प्रदान की गईं।

भारतीय संविधान तथा संविधान के प्रमुख निर्माता भारतरत्न डॉ बी.आर. आंबेडकर को समर्पित इस पावन कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक डॉ राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से, एनडीसी, सभी भा.र.ले.से अधिकारियों, उपस्थित सभी अधिकारियों तथा इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपना सश्रम योगदान देने वाले सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग के कर्मियों के प्रति श्री स्वप्निल हनमाने, भा.र.ले.से, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक ने धन्यवाद ज्ञापन की ज़िम्मेदारी निभाई। इसके उपरांत सभी उपस्थितों ने राष्ट्र-गीत गाकर राष्ट्र और संविधान में अपनी निष्ठा को प्रदर्शित किया। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन श्री ब्रजेश शुक्ल ने सुचारु रूप से किया।