कटिहार
पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है यह ऐतिहासिक शहर।
पहले यह जिला पूर्णिया जिले का एक हिस्सा था।
इसका इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है।
इस जिले का नाम इसके प्रमुख शहर दीघी-कटिहार के नाम पर रखा गया था।
मुगल शासन के अधीन इस जिले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी।
13वीं शताब्दी के आरम्भ में यहाँ पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया।
1770 ई॰ में जब मोहम्मद अली खान पूर्णिया के गर्वनर थे, उस समय यह जिला ब्रिटिशों के हाथ में चला गया। अत: काफी लम्बे समय तक इस जगह पर कई शासको ने राज किया।
2 अक्टूबर 1973 ई॰ को स्वतंत्र जिले के रूप में घोषित किया गया।
बाल्दीबाड़ी,
बेलवा,
दुभी-सुभी,
गोगाबिल झील,
नवाबगंज,
मनिहारी
और कल्याणी झील प्रमुख आकर्षण हैं।
गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा :
सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर की याद में यह गुरुद्वारा बनाया गया है।
सन 1666 में गुरु जी यहां के कांतनगर में पधारे थे।
इस गुरुद्वारे में गुरुजी से जुड़ी कई अनमोल धरोहर आज भी सुरक्षित है।
प्रत्येक वर्ष गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस यहाँ मनाया जाता है।
गोगाबिल झील :
यह एक खूबसूरत विशाल झील प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य भी है।
पूरे वर्ष यहाँ पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां देखी जा सकती है।
खासकर नवंबर से फरवरी के महीने में रूस से पक्षी प्रवास के लिए आती है।
राजहंस,लालसर इत्यादि पक्षी होती है।
ये अभ्यारण मनिहारी से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
त्रिमोहिनी संगम :
कुर्सेला प्रखंड के कटरिया गांव के NH-31 से रास्ता त्रिमोहिनी संगम की ओर जाती है।
यहाँ तीन नदियों का संगम है जिसमें प्रमुख रूप से गंगा और कोशी का मिलन है।
त्रिमोहिनी संगम भारत की सबसे बड़ी उत्तरायण गंगा का संगम है।
नेपाल से निकलने वाली कोसी के सप्तधाराओं में एक सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों से गुजरते हुए यहां आकर गंगा नदी से संगम कर अपना वजूद खो देती है।
एक नदी की उत्पत्ति भारत कि सबसे बड़ी उत्तरवाहिनी गंगा तट से हुई जो कलबलिया के नाम से जाना जाता है और करीब 32 किलोमीटर का सफर तय करती है।
मनिहारी :
कटिहार के दक्षिण से 25 किलोमीटर की दूरी पर मनिहारी स्थित है।
पौराणिक कथा के अनुसार, इस जगह पर भगवान कृष्ण से एक मणी (आभूषण) खो गया था।
जिसे ढूंढते हुए वह इस जगह पर पहुंचे थे।
इस कारण से इस जगह का नाम मनिहारी पड़ा|
कल्याणी झील :
झौआ रेलवे स्टेशन के उत्तर से पांच किलोमीटर की दूरी पर कल्याणी झील स्थित है।
प्रत्येक वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि के अवसर पर काफी संख्या में लोग यहाँ स्नान करने के लिए आते हैं।
इस नदी के तट में एक ऐतिहासिक पत्थरनुमा शिवलिंग है जो अनेकों वर्षों से स्थित है जो स्थानीय लोगों के अनुसार अपने आकार में पहले की अपेक्षा बढ़ रहा है।वर्ष 2015 में नियम निष्ठा पूर्वक माँ कल्याणी देवी मंदिर के समीप अनेक कलाकृत्यों द्वारा निर्मित भव्य शिवमंदिर शिवलिंग के साथ स्थापित किया गया था।
शान्ति टोला फसीया :
यह एक छोटा सा गांव है।
इस गांव में एक 200 वर्ष पुराना मंदिर है जिसे महंथ स्थान के नाम से जाना जाता है।
इस गांव में एक राधा कृष्ण का भी मन्दिर है।
बेलवा :
यह एक छोटा सा गांव है।
यहाँ पर प्राचीन समय की कई इमारतें स्थित है।
इसके अतिरिक्त यहाँ एक मंदिर है जिस में भगवान शिव और देवी सरस्वती की पत्थर की मूर्तियां स्थित है।
प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पर यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है।
दुभी-सुभी :
इस गांव का सम्बन्ध एक दिलचस्प कहानी के साथ जुड़ा हुआ है।
माना जाता है कि एक नवयुवक ने कुश से अपना गला काटकर प्राणों की आहुति दी थी।
यह घटना लगभग 70 वर्ष पूर्व की है।
इस कारण धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
बाल्दीबाड़ी :
गंगा नदी के समीप स्थित मनिहारी से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर बाल्दीबाड़ी गांव है जहां पर मुर्शिदाबाद के नवाब सिराज-उद-दौला और पूर्णिया के गवर्नर नवाब शौकत जंग के बीच युद्ध हुआ था।
नवाबगंज
भी मुगल काल के समय में इस जिले के गर्वनर नवाब शौकत गंज के पुराने सिंहासन के लिए जानी जाती है।
कैसे पहुंचें :
वायु मार्ग: यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा (सिलीगुड़ी के निकट) और दरभंगा है।
रेल मार्ग: कटिहार में रेलवे स्टेशन कटिहार रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
पूर्वोत्तर के राज्यों में आवागमन का प्रमुख रेल मार्ग बरौनी-कटिहार-गौहाटी ही है।
और मुख्य पाँच अलग – अलग मार्गाों में ट्रेनों का आवागमन भी यही से होता है।
सड़क मार्ग:
राष्ट्रीय राजमार्ग 31 इस जिले तक पहुंचने का सुलभ राजमार्ग है।
और झारखंड जाने के लिए मनिहारी गंगा में एल टी सी सेवा उपलब्ध है,जो गंगा नदी के रास्ते साहिबगंज को जाती है।
जय बिहार !
गुरु हेमेन्डु कमल