पटना,12 मई, 2021: ऑल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन(AISF) ने पप्पू यादव, एआईएसएफ नेता रजनीकांत समेत सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई एवं बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कल 13 मई को राज्यव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। वहीं इसी को लेकर आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी पत्र भेजा गया। पत्र की प्रति राज्यपाल फागु चौहान एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ईमेल द्वारा भेजा गया है।

पत्र में एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार, राज्य अध्यक्ष अमीन हमज़ा एवं राज्य सचिव रंजीत पंडित ने कहा कि अपना देश महामारी के भीषण प्रहार को झेल रहा है। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत भयावह है। अस्पतालों, बेड़ों, आईसीयू, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, जीवन रक्षक दवाओं, डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल स्टाफ जैसे बुनियादी जरुरत की भारी कमी है। ऑपरेटर के अभाव में अनेकों अस्पताल के बंद पड़े वेंटिलेटर को अभी तक चालू नही कराये जाना गंभीर चिंता का विषय है। कोरोना संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन, दवा, वेंटिलेटर के अभाव में जाने जा रही है। लोग घरों में, अस्पतालों के गेटों पर, सड़कों पर मर रहे हैं। श्मशान एवं कब्रिस्तान भरे हुए हैं। वहां शवों की लंबी कतारें हैं। बक्सर के चौसा में गंगा किनारे दर्जनों अधजली लाशें मिली है।

छात्र नेताओं ने कहा कि सरकार की लचर व्यवस्था की वजह से अधिक जानें जा रही है। इस बीच कुछ स्वयंसेवी संगठनों की पहल पर चलाए जा रहे अभियान ने बहुत हद तक महामारी से लड़ने में सहयोग किया है। पूर्व सांसद पप्पू यादव ने इस अवधि में ऑक्सीजन, जीवन रक्षक दवाओं यथा रेमिडिसिवर खुद मुहैया कराया है। बिहार के अंदर पूर्व सांसद द्वारा विभिन्न अस्पतालों, श्मशानों में घूमने की वजह से व्यवस्थागत खामियां उजागर हुई।

एआईएसएफ नेताओं ने कहा कि छपरा के बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के कार्यालय के बाहर इस महामारी में भी दो दर्जन से अधिक एम्बुलेंस पड़े होने का मामला पप्पू यादव के द्वारा हीं उजागर किया गया। इस महामारी में जहां लोग रिक्शा एवं साइकिल से मरीजों को ले जाने को विवश हैं। वैसे में बिना चलवाए ही एम्बुलेंस को रखना आपराधिक लापरवाही है। पप्पू यादव द्वारा उक्त भाजपा सांसद पर कार्रवाई की मांग से ही बिहार की भाजपा-जद (यू) सरकार काफी दबाव में थी। सरकार ने राजनीतिक दुर्भावना के तहत आपदा की अवधि में पप्पू यादव को गिरफ्तार करवाया है। जबकि गिरफ्तारी राजीव प्रताप रूड़ी की होनी चाहिए थी।

वहीं विगत 15 मई को एआईएसएफ के बिहार राज्य उपाध्यक्ष रजनीकांत कुमार एवं दो शिक्षकों को खगड़िया में छात्रों एवं शिक्षा की आवाज उठाने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। वे कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शिक्षण संस्थानों को खोले जाने की माँग कर रहे थे।

पत्र में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों ने राज्य सरकारों को कहा है कि वैसे अपराध जिनमें सजा की अवधि सात साल तक की हो। बहुत आवश्यक नहीं हो तो कोरोना अवधि में जेल नहीं भेजा जाए। जेल में क्षमता से काफी अधिक कैदी हैं। इस आपदा की घड़ी में जेलों में शारीरिक दूरी का पालन कर पाना संभव नहीं है।

एआईएसएफ नेताओं ने पप्पू यादव, एआईएसएफ नेता रजनीकांत समेत सभी राजनीतिक कैदियों की कोरोना अवधि में तत्काल रिहाई, बिहार के अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली, बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर को उपलब्ध कराने, एम्बुलेंस मसले में दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई व छपरा सांसद राजीव प्रताप रूड़ी को गिरफ्तार करने, गंगा में मिले शवों के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई एवं दवा, ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर रोक की मांग की है।