पटना, 7 जून 2021: बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बिहार के लिए हम जल्द ही एक टेक्सटाइल और लेदर उद्योग नीति बनाने जा रहे हैं। यह नीति बिहार की तस्वीर बदलने वाली होगी। बिहार में टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्री की अपार संभावनाएं हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना स्थित प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी), रीजनल आउटरीच ब्यूरो (आरओबी) तथा उद्योग विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त प्रयास से आज “बिहार में कृषि आधारित उद्योग (खाद्य प्रसंस्करण) की संभावनाएं” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि कच्चे लेदर के मामले में किशनगंज का मांझीपाड़ा एक बहुत बड़ा हब है, जहां से कच्चे लेदर को विभिन्न राज्यों व विदेशों में निर्यात किया जाता है। हमारी योजना है कि हम आने वाले दिनों में किशनगंज में एक लेदर हब बनाएंगे और मुजफ्फरपुर में लेदर प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण करेंगे। बिहार देश का सबसे पहला राज्य है जहां इथेनॉल पॉलिसी बनाई गई है। इथेनॉल निर्माण के क्षेत्र में बिहार में अपार संभावनाएं हैं। इथेनॉल इंडस्ट्री के लगने से बिहार की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और किसानों को लाभ मिलेगा। इथेनॉल प्लांट लगने के बाद किसानों को खराब हुए अनाजों की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी। उद्योग विभाग अच्छे अनाज की समान दर पर ही खराब अनाजों की खरीद करेगा। उद्योग विभाग उन अनाजों का इस्तेमाल इथेनॉल प्लांट में ईंधन निर्माण के लिए करेगा। इथेनॉल ईंधन पेट्रोल-डीजल के मुकाबले काफी सस्ता होगा। उन्होंने कहा कि जो भी कंपनियां इथेनॉल निर्माण के लिए आवेदन करेंगी, उन्हें 7 दिनों के अंदर ही जमीन उपलब्ध करा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर्स हमारे लिए देवता के समान और और उनका उसी रूप में स्वागत किया जाएगा। वर्तमान में जेएसडब्ल्यू, माइक्रोमैक्स, इंडियन स्मार्ट सरीखे बहुत सारी कंपनियां इथेनॉल निर्माण के क्षेत्र में बिहार में अपना प्लांट लगाने के लिए आ रही है। बिहार में उद्योग लगाने के लिए अभी तक 6199 करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए हैं, इसमें से 4616 करोड़ रुपये के प्रस्ताव केवल फूड प्रोसेसिंग में आए हैं। यह प्रस्ताव बिहार की तस्वीर बदलने वाली है।
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि हमने बेहद मशक्कत और बड़ी कोशिशों के बाद बिहार को एक मेगा फूड पार्क दिलवाने में कामयाब रहे हैं। मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में बना यह मेगा फुड पार्क पहले केवल 78 एकड़ का था, जिसे हमने 48 एकड़ और जोड़कर कुल 126 एकड़ कर दिया है। बिहार में जितनी चीनी मिलें बंद पड़ी हैं, उन जमीनों को बिहार सरकार ने उद्योग विभाग को सौंप दिया है, जिसमें जल्द ही नए इंडस्ट्री लगाए जाएंगे।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि मन की बात में प्रधानमंत्री के द्वारा बिहार की शाही लीची के जिक्र किए जाने के बाद इसकी नई तरीके से ब्रांडिंग हो गई है। अतः यह बिल्कुल मुफीद समय है कि हम लीची के खाद्य प्रसंस्करण एवं बिहार के जीआई टैग प्राप्त अन्य उत्पादों के उद्योग लगाने की दिशा में आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्य अपने प्रसिद्ध खाद्य पदार्थों का अच्छे से ब्रांडिंग करते हैं। हमें भी इस दिशा में एक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के हर घर में बिहार का खाद्य पहुंचे ऐसी कामना करते हैं।
वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआईए) के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने कहा कि हमें जो भी नीति बनानी चाहिए उसे वर्तमान के लिहाज से नहीं बल्कि अगले 20 साल को ध्यान में रखते हुए बनानी चाहिए। वह नीति उदार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार एक बड़ा उपभोक्ता राज्य है और यहां उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को एक विशेष राज्य का दर्जा या स्पेशल पैकेज दिए जाने की आवश्यकता है, तभी इसका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल उद्योग उप समिति, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स (बीसीसीआई) के संयोजक सुभाष कुमार पटवारी ने कहा कि हमारे कृषि आधारित उत्पाद हमारे घरों में ही देखे जाते हैं या बर्बाद हो जाते हैं, लेकिन इसे अब उद्योग के रूप में बदलना होगा। उन्होंने कहा कि लीची और जर्दालू आम को बिहार में जीआई टैग मिल चुका है। अब इसकी प्रोसेसिंग की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि 2008 की उद्योग-नीति बहुत अच्छी थी। इस तरह की पॉलिसी के तहत स्कीम को पुनः लागू किया जाना चाहिए। यह आगे आने वाले उद्योगों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।