पटना, 25 मई 2021: मुजफ्फरपुर का शाही लीची अब पूरी दुनिया में ‘बिहार की लीची’ के नाम से पहचानी जाएगी। इसे दुबई निर्यात किया गया है। पहली बार राज्य से ‘ फाइटोसेनेटरी सर्टिफिकेट’ मिला है। इस सर्टिफिकेट के बाद अब दूसरे कृषि उत्पादों के निर्यात में आसानी होगी।

ये सब संभव हो पाया है कृषि सचिव डॉ एन सरवन कुमार के अथक प्रयासों से।  उन्होंने इस लगातार प्रयास के कारण ही केंद्र सरकार ने 19 मई को सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार दे दिया।  पहले फाइटोसेनेटरी सर्टिफिकेट के  दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था, अब ऐसा नहीं होगा।  गौरतलब है कि सोमवार को शाही लीची की एक खेप लंदन भी निर्यात किया गया है।

जानकारी के अनुसार, इस सर्टिफिकेट के मिलने से अब बिहार से निर्यात होने वाले हर उत्पाद को बिहार के नाम से जाना जायेगा। इससे राज्य के निर्यातकों को अधिक ऑर्डर मिलने की सम्भावना बढ़ जाएगी। पहले बिहार के उत्पादों को कोलकाता के सर्टिफिकेट मिलते थे उसके बाद निर्यात किया जाता था। बंगाली उत्पाद के नाम से पहचाने जाने के कारण निर्यात का बड़ा ऑर्डर भी बंगाल को मिल जाता था।

कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बिहार को सर्टिफिकेट जारी करने के अधिकार के साथ ही दूसरे राज्यों सर्टिफिकेट लेने के बाद निर्यात की निर्भरता ख़त्म हो गई  है। सचिव एन सरवन कुमार ने पिछले साल ही पौधा संरक्षण विभाग को केंद्र से लॉगिन आईडी लेने के लिए आग्रह करने को कहा था। उसके बाद  लगातार पत्राचार भी जारी रहा। हालाँकि अब इस सुविधा मिलने से बिहार के उत्पादों को ‘बिहार के उत्पाद’ नाम से जाना जायेगा और ये गर्व की बात है.”