बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के अंतिम वर्ष के छात्र आलोक अभिनव ने पटना हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है जिसमें कानून के छात्रों को परीक्षा आयोजित करने और डिग्री जारी करने की प्रार्थना की गई है। उनका कहना है कि जून 2021 तक पहले नहीं, अंतिम वर्ष LLB की परीक्षा कब आयोजित की जाएगी इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।
अभिनव ने कहा, “2019-21 के पोस्ट ग्रेजुएट सत्र के लिए प्रवेश प्राक्रिया फरवरी 2020 में शुरू होगी। प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग एक साल लग गया और दिसंबर 2020 से कक्षा शुरू हो गई। जून 2021 तक पहले सेमेस्टर की परीक्षा कब आयोजित की जाएगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। आज बिहार के छात्र बाहर प्रवेश पाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। बिहार के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले छात्रों का हाल तो और भी दर्दनाक है।”
अभिनव ने बताया कि बिहार के अधिकांश विश्वविद्यालयों में अनियमित शैक्षणिक सत्र का इतिहास रहा है। मगध विश्वविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों तरह के पाठ्यक्रम दो से तीन साल की देरी से चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मगध विश्वविद्यालय और बिहार के अधिकांश अन्य विश्वविद्यालयों में अकादमिक सत्रों में देरी एक नियमित मामला रहा है। यह लगभग नियमित हो गया है कि तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में चार से छह साल लगते हैं जबकि दो वर्षीय स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम में लगभग तीन से चार साल लगते हैं, अक्सर इससे भी ज्यादा। यह सिलसिला कुछ सालों से नहीं बल्कि दशकों से चला आ रहा है। अधिकांश विश्वविद्यालय किसी भी निश्चित शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं करते हैं। शायद, केवल पटना विश्वविद्यालय ही अकादमिक कैलेंडर का पालन करता है और समय पर परीक्षा आयोजित करता है। छात्र अपने करियर की योजना नहीं बना पा रहे हैं। अधिकांश छात्रों ने पीड़ा व्यक्त की और अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित दिखे। एक बार जब उन्हें बिहार के विश्वविद्यालयों में प्रवेश मिल जाता है तो पाठ्यक्रम कब पूरा होगा, यह निश्चित नहीं है।
मगध विश्वविद्यालय के एक भाग को विभाजित कर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के नाम से एक अलग विश्वविद्यालय बनाया गया है। तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर को दो भागों में विभाजित किया गया है। नए विश्वविद्यालय का नाम मुंगेर विश्वविद्यालय है। पूर्णिया विश्वविद्यालय को बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा से अलग कर बनाया गया है।