पुणे, १३/०६/२०२३: “पर्यावरण संरक्षण के लिए तेजी से काम करते हुए इस साल पेड़ लगाने के काम को ३० साल पूरे हो रहे है और हमें संतोष है कि, इस कार्यकाल में एक करोड़ पेड़ लगाने का काम हमारे हाथो हुआ. २०४७ जब भारत अपने आझादी के सौ साल मनाएगा, तभी हम पांच करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य पूरा करेंगे,” ऐसा विश्वास श्री कल्पतरु संस्थान के प्रमुख और ‘ट्री-मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से विख्यात विष्णु लांबा ने जताया। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर तळजाई वन क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। उस समय विष्णु लांबा बोल रहे थे। इस मौके पर उमा व्यास, रेशमा पालवे, भागाबाई चोले आदि मौजूद रहीं।

विष्णु लांबा अपने सात साल की उम्र से पेड़ लगाने में जुडे है. इस काम को गौरवान्वित करते हुए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के छठे प्रमुख एरिक सोलहेम ने वीडियो संदेश के जरिए अपनी शुभकामनाएं दी और कहा की, यह भारत के लिए गर्व की बात है. विष्णु लांबा पांच हजार साल से चली आ रही ‘देवराई’ को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों वृक्षारोपण कार्यक्रमों के माध्यम से एक करोड़ पेड़
लगाने का विक्रम स्थापित किया है।

विष्णु लांबा ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में एक मिलियन पेड़ और पशु प्रजातियां गायब हो रही हैं। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए, श्री कल्पतरु संस्थान ने पूरे देश में देशी पेड़ लगाने का अभियान चलाया है। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा आदि में वन निर्माण का कार्य चल रहा है। पांच एकर क्षेत्र में १२ हजार पेड़ लगाकर पिछले साल ‘ग्रीन लंग्स’ नामक मानव निर्मित वन पुणे में तळजाई हिल पर बनाया गया है।”

‘पौधा चोर’ से ‘ट्री-मैन ऑफ इंडिया’ का विष्णु लांबा का सफर प्रेरक है. बचपन से ही उन्होंने घर छोड़ दिया और खुद को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। एक आदर्श गांव को आदर्श विद्यालय की तरह देखने का सपना देख गांवों में कई गतिविधियों को अंजाम भी दे रहे हैं। श्री कल्पतरु संस्थान के माध्यम से लोगों को ईको फ्रेंडली रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। उनका लक्ष्य ५ करोड़ पेड़ लगाकर देश के १०० गांवों की रक्षा करना
है। इस सफर में उन्हें अक्सर लड़ना पड़ता था, हमले सहने पड़ते थे, कोर्ट कचहरी जाना पड़ता था। उन्होंने एक अदालती लड़ाई में लगभग १.३ लाख पेड़ों को बचाया। २३ लाख पौधे तैयार कर वितरित किए गए। उन्होंने खुद ६४ लाख पेड़ लगाए हैं।

उन्हें अब तक राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार, डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम राष्ट्रीय सृजन पुरस्कार, अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार, ग्रीन आइडल पुरस्कार जैसे १५० से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके काम को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है। संयुक्त राष्ट्र के महानिदेशक एरिक सोलहेम ने कई ट्वीट कर इस काम की तारीफ की है. आज भारत के २२ राज्यों में १३ देशों में संस्था का निःस्वार्थ कार्य चल रहा है और साढ़े सात लाख स्वयंसेवक
सेवा कर रहे हैं। खास बात यह भी है कि यह काम बिना किसी सरकारी अनुदान के चल रहा है।