रायपुर, 12 जून, 2020: महिला बाल विकास विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर. ने राजधानी के माना कैम्प स्थित बाल सम्प्रेक्षण गृह और बालगृह का निरीक्षण कर वहां काउंसलिंग, साफ-सफाई, सहित कोरोना संक्रमण से बच्चों के बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। श्री प्रसन्ना ने अपचारी बच्चों की नियमित काउंसलिंग पर बल दिया और कहा कि सॉकोलोजिस्ट नियमित रूप से बच्चों की काउंसलिंग कर बच्चों में हो रहे सुधार की प्रगति का आंकलन करें। उन्होंने बच्चों के लिए बनाए गए भोजन को चखकर उसकी गुणवत्ता की भी जांच की। इस दौरान विभाग की संचालक श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा और विभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे। निरीक्षण के दौरान सचिव, संचालक सहित बच्चों और अधिकारियों द्वारा सम्प्रेक्षण गृह और बालगृह परिसर (बालक-बालिका) में छायादार और फलदार वृक्ष लगाए गए।
श्री प्रसन्ना ने अधिकारियों को दूर रखते हुए सम्प्रेक्षण गृह में रह रहे बालकों से अकेले में मुलाकात कर उनकी समस्याओं और मांगों के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने बच्चों से भोजन व्यवस्था, खेल-कूद, उनकी हॉबी सहित प्रकरण की स्थिति के संबंध में बताने के लिए कहा। बच्चों ने अपने-अपने पसंद की कॉमिक्स, महापुरूषों की जीवनी, स्वतंत्रता संग्राम संबंधी पुस्तकों और योगा मैट की मांग की जिसे शीघ्र पूरा करने का आश्वासन सचिव ने दिया। इस दौरान संचालक श्रीमती मिश्रा ने पौधों को सहेजने और नियमित पानी देने के लिए बच्चों को प्रेरित किया। इसके साथ ही बच्चों को मास्क पहनने और स्वस्थ्य संबंधी कोई परेशानी होने पर तुरंत सूचना देने की संमझाईश दी गई।
अधिकारियों ने बताया की शासकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह और उससे संलग्न शासकीय सुरक्षित स्थान (प्लेस ऑफ सेफ्टी) में विधि का उल्लघन करने वाले बालकों को प्रकरण के लंबित रहने की अवधि तक रखा जाता है। यहां बच्चों को भोजन, आवास, शिक्षा, प्रशिक्षण, नैतिक शिक्षा, परामर्श तथा खेल-कूद की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाती है। बच्चों में स्वस्थ्य आदतों को उभार कर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में माना कैम्प स्थित शासकीय बाल सम्प्रेक्षण गृह में 69 और प्लेस ऑफ सेफ्टी में 16 इस तरह कुल 85 बच्चे रह रहे हैं। वर्ष 19-20 में संस्था के 6 बालकों ने हायर सेकेण्डरी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है और इस वर्ष 9 बच्चे छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल और 3 बच्चे ओपन स्कूल की परीक्षा में सम्मिलित हुए हैं। इसी तरह शासकीय बालगृह (बालक) में 39 बच्चे निवासरत हैं। यहां के 22 बच्चों स्कूली शिक्षा से जोड़ा गया है।