पुणे, 26 जून 2021: जी-ओ-सी-इन-सी दक्षिणी कमान लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नैन और रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (अफसर) डॉ राजीव चव्हाण के बीच इस महीने की 8 तारीख को हुई बैठक की निरंतरता में 24 जून 2021 को एक समीक्षा बैठक रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (अफसर) कार्यालय पुणे में आयोजित की गई थी। जिसका प्रतिनिधित्व दक्षिणी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल पीएस शेखावत और मेजर जनरल संदीप भार्गव और रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (अफसर) डॉ राजीव चव्हाण, लहना सिंह और टी सतीश कुमार द्वारा किया गया था। जिन्होंने सामान्य रूप से भारतीय सेना से संबंधित सभी मुद्दों पर एक मैराथन बैठक एवं विस्तृत चर्चा गहनता से की और कोविड-19 के मानकों और मापदण्डों का पूर्णतया पालन करने हेतु मुख्यालय दक्षिणी कमान विशेष रूप से उनके वेतन और भत्ते, पेंशन लाभ (अलग-अलग विकलांग अधिकारी और युद्ध विधवा), डीएसओपी फंड और सेना अधिकारियों की शिकायतों के बारे में विशेष रूप से बातचीत की। प्रशिक्षण भत्ता और इसके महत्वपूर्ण तौर-तरीकों के आदेशों के ऑनलाइन प्रकाशन में तेजी लाने, पांचवें, छठे और सातवें वेतन आयोग की वेतन विसंगतियों का समझौता, रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (अफसर) कार्यालय के कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए कोविड टीकाकरण जैसे मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा की गई।

अखिल भारतीय प्रभाव वाले और सभी सैन्य अधिकारियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों जैसे सेना के अधिकारियों को वेबिनार के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र के दौरान उन्हें बेहतर ढंग से समझाने, अपने अधिकारों का सही दावा करने में सक्षम बनाने, समन्वय कक्ष को मजबूत करने और कार्यालय परिसर में बुनियादी ढांचे के समर्थन को बढ़ाने जैसे मुद्दे बैठक के दौरान भी सामने आए और उनपर चर्चा की गई।

रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (अफसर) डॉ. राजीव चव्हाण ने वरिष्ठ अधिकारियों से ऑनलाइन प्रकाशन को प्राथमिकता देने और आदेशों के ऑनलाइन प्रकाशन की प्रक्रिया को तेज करने के लिए भारतीय थल सेना के तहत एक मॉडल कमांड मुख्यालय बनाने का अनुरोध किया। यदि यह डिजिटल मॉडल दक्षिणी कमान में सफल और प्रस्तावित हो जाता है, जो भारतीय सेना में अब तक की सबसे बड़ी कमान है, जिसके अधिकार क्षेत्र में एक बड़ा भौगोलिक क्षेत्र है, तो इसे अन्य पांच ऑपरेशनल कमांड और एक प्रशिक्षण कमांड द्वारा भी सफलतापूर्वक निष्पादन एवं कार्यान्वयन के लिए अपनाया जा सकता है। यह भारतीय थल सेना के अधिकारियों की परिहार्य शिकायतों को कम करने मे सार्थक सिद्ध रहेगा और जो हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं ऐसे हमारे अधिकारियों और सैनिकों को बढ़ावा देने में एक मील का पत्थर साबित और सिद्ध होगा। इस तरह के विषम कोविड-19 समय में सैनिकों का मनोबल बढ़ाने में यह प्रयास निश्चित ही सम्रद्ध रहेगा। यह डिजिटल इंडिया परियोजना को बढ़ाने में भी मदद करेगा और लंबे समय में रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (अफसर) कार्यालय पुणे के कार्यालय द्वारा भारतीय सेना के अधिकारियों को सेवाओं के वितरण में ईमानदारी, पारदर्शिता, सटीकता और गति प्रदान करने मे सार्थक/सक्षम रहेगा।