नई दिल्ली, मई 3, 2021: सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ आदर पूनावाला ने कहा है कि भारत में आने वाले कुछ महीनों तक वैक्सीन की कमी लोगों को झेलनी पड़ेगी। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्होंने ने आर्डर की कमी के कारण पहले क्षमता का विस्तार नहीं किया था। इस वजह से वैक्सीन की कमी जुलाई तक रहेगी। उन्होंने कहा, “कोई आर्डर नहीं था। हमे नहीं लगता था कि हमें  एक साल में 100 करोड़ से अधिक खुराक बनाने की जरूरत है।” उन्होंने यह भी बताया की अधिकारीयों को जनवरी में दूसरी लहर आने की बिलकुल आशा नहीं थी। “हर कोई वास्तव में यह सोच रहा था की भारत में महामारी खत्म होने की कगार पर है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने बताया कि पिछले महीने ही केंद्र सरकार ने उत्पादन क्षमता की सुविधा को बढ़ाने के लिए 3,000 करोड़ एडवांस में दिए। देश में पिछले शुक्रवार को कोरोना के मामले ने 4 लाख का आकड़ा पार कर लिया है। दुनिया की सबसे बाड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीमर इंस्टिट्यूट है, जो कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन बनाती है जिसको स्थानीय रूप से कोविसील्ड ब्रांड के नाम से वितरित किया जाता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने अब तक इसका सारा उत्पादन खरीदा है, पर इस महीने की शुरुआत में राज्यों और निजी अस्पतालों को भी वैक्सीन खरीदने की मंजूरी दे दी गई है।

सरकार ने 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया। लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। 1 मई को केवल 18 लाख लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है। अब तक भारत में लगभग 16 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी गई है। यह भारत की आबादी का सिर्फ 12% है। जबकि दूसरी डोज लगाने वालो की संख्या मात्र 2% ही है।

पुनावाला का कहना है कि राजनेताओं और आलोचको ने टीके की कमी के लिए एसआईआई को जिम्मेदार ठहराया है, मगर वैक्सीन नीति सरकार ने बनायी थी। बता दें कि भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हुई थी। तब केंद्र सरकार ने SII से 2.1 करोड़ वैक्सीन मंगवाए थे। बाद में जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो और 11 करोड़ वैक्सीन का आर्डर दिया गया। वृहद टीकाकरण अभियान के लिए राज्यों और प्राइवेट अस्पतालों से ज्यादा कीमत वसूलने के कारण कंपनी की आलोचना की गई। बाद में कंपनी ने राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली कीमत को 400 रूपए से 300 रूपए कर दिया था।