पुणे,०२/०९/२०२३: दिनांक 01.09.2023 को पूर्वाहन 11.00 बजे प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान, पुणे के मध्यवर्ती सभागृह में हिंदी पखवाड़ा का शुभारंभ कार्यक्रम का विशाल तथा भव्य आयोजन किया गया । सम्पूर्ण संगठन के स्तर पर यह आयोजन केंद्रीय रूप से किया गयाजिसमें संगठन के महाराष्ट्र,गुजरात,राजस्थान स्थित 109 अधीनस्थ कार्यालयों के समस्त अधिकारी व कर्मचारी गण भी वीडियो – कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सम्मिलित हुए तथा मुख्य कार्यालय के अधिकारी / कर्मचारी प्रत्यक्ष रूप से समारोह में उपस्थित हुए ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान, पुणे डॉ. राजीव एस चव्हाण, भा.र.ले.से. रा.र.अ.महोदय एवं डॉ महेश दले, भा.र.ले.से. रक्षा लेखा अपर नियंत्रकमहोदय का स्वागत श्री बी.एस. कांबले, भा.र.ले.से. संयुक्त नियंत्रक द्वारा पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया । मुख्य अतिथि डॉ. राजीव एस चव्हाण, भा.र.ले.से. रा.र.अ. प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान, पुणे, डॉ. महेश दले, भा.र.ले.से. रक्षा लेखा अपर नियंत्रक, श्री बी.आर. कांबले, भा.र..से. रक्षा लेखा संयुक्त महानियंत्रक, डॉ रश्मि दुबे, निदेशक(भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण केंद्र) ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का श्रीगणेशा किया ।
कार्यक्रम के आरंभ में श्री अभिजीत हलबे, वरिष्ठ लेखा परीक्षक ने शास्त्रीय गायन शैली में ‘गणेश वंदना’की प्रस्तुति कर सम्पूर्ण वातावरणभक्ति भाव सराबोर हो गया और सुंदर गायन से सभी मंत्रमुग्ध हो गए । कार्यालय के कार्मिकों ने ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’प्रार्थना गीत प्रस्तुत कर पूरे सभागृह को मधुर सुर में बांध दिया ।
समारोह की अगली कड़ी में “भाषावाद (Linguistic Chauvinism)’’ पर समालोचनात्मक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस संगोष्ठी में डॉ. राजीव एस चव्हाण, भा.र.ले.से. रा.र.अ. प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान, पुणे, एवं डॉ, महेश दले, भा.र.ले.से. रक्षा लेखा अपर नियंत्रक ने गहन चर्चा की । डॉ. महेश दले, भा.र.ले.से. रक्षा लेखा अपर नियंत्रक महोदय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भाषा केवल संप्रेषण के उद्देश्य से बनी है तथा बाद में उसे संग्रहीत करने के लिए लिपि का उगम हुआ है । हर भाषा की लिपि समय के साथ बदलती रहती है । उन्होने आगे कहा कि किसी भी प्रकार के भेदभाव को व्यक्ति,समाज, राष्ट्र की उन्नति की राह में बाधक माना । महोदय ने सभा को अवगत कराया कि किसी भी प्रकार का वाद वास्तव में स्वयं के हाथ में नियंत्रण रखने का माध्यम मात्र है । किसी भी प्रकार का वाद मनुष्य के बीच द्वेष,घृणा को ही जन्म देता है । भारत एक बहु भाषा – भाषी देश है जहाँ हर प्रांत, हर क्षेत्र, हर जिले, हर शहर, हर राज्य की भाषा संबंधित क्षेत्र की संस्कृति का परिचायक है ।