नई दिल्ली: केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि सरकार ने ओलंपिक और एशियाई खेलों जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 

गुरुवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ओलंपिक और एशियाई खेलों सहित अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की तैयारी एक सतत् प्रक्रिया है। राष्ट्रीय खेल संघों को सहायता योजना के तहत ओलंपिक सहित अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धात्मक प्रदर्शन का ध्यान रखा जाता है।

उन्होंने कहा, “ओलंपिक खेलों, टोक्यो 2020 के लिए भारतीय दल की तैयारी की निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, कई खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया था ताकि वे देश में वर्तमान में जारी महामारी से अप्रभावित रहें। टोक्यो ओलंपिक के संभावित पदक विजेताओं को प्रशिक्षण शिविरों में सामाजिक दूरी के साथ प्रशिक्षित किया गया।”

“’खेल’ राज्य का विषय है। खेल से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मानकों के बुनियादी ढांचे का विकास और निर्माण सहित खेलों का विकास करना राज्यों की मुख्य जिम्मेदारी है। हालांकि, केंद्र सरकार राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों को महत्वपूर्ण खेल बुनियादी ढांचे और उस तरह के दूसरे बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ‘खेलो इंडिया’ की अपनी योजना के तहत वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है, जहां खेल विज्ञान और खेल उपकरण सहित उनके व्यवहार्य प्रस्तावों के आधार पर खामियां हैं,” उन्होंने जानकारी दी।

खेल मंत्री ने कहा, “प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों का प्रशिक्षण मुख्य रूप से भारतीय खेल प्राधिकरण के केंद्रों में होता है, जहां उनके लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा, राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों में सुधार करने के लिए, हर राज्य को खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र (एसएलकेआईएससीई)  के रूप में घोषित किए जाने के लिए एक मौजूदा खेल प्रतिष्ठान की पहचान करने की अनुमति है। इन केंद्रों में खामियों का विश्लेषण करके श्रमबल और खेल बुनियादी सुविधाओं के उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। देश भर में पहले से ही ऐसे 24 केंद्र शुरू किए जा चुके हैं।”

अनुराग ठाकुर ने जानकारी दी कि युवा मामले और खेल मंत्रालय वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए, ओलंपिक खेलों, पैरा-ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, पैरा एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व कप /विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेताओं के नेतृत्व में ओलंपिक खेलों तथा एशियाई खेलों में शामिल खेलों के मेधावी खिलाड़ियों के लिए पेंशन की योजना लागू कर रहा है। ये खिलाड़ी सक्रिय खेलों से संन्यास लेने पर या 30 साल की उम्र पार करने पर, इनमें से जो भी पहले हो, 12,000 से 20,000 रुपए प्रति माह का पेंशन पाने के पात्र होंगे।

“इसके अलावा, मंत्रालय खिलाड़ियों के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष की योजना भी लागू कर रहा है, जिसके तहत विकट परिस्थितियों में रहने वाले खिलाड़ियों को, मृत खिलाड़ियों के परिवारों को पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा खिलाड़ियों या परिवार के सदस्यों को चिकित्सा उपचार के लिए 10 लाख रुपये तक की सहायता, इस कोष के माध्यम से खिलाड़ियों या उनके परिवार के सदस्यों के इलाज के लिए 10 लाख रुपये तक की सहायता, प्रशिक्षण और खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के दौरान चोट लगने पर 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। प्रशिक्षण, उपकरणों की खरीद और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी के लिए 2.5 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। कोच और सहायक कर्मियों को 2 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। साथ ही कोच और सहायक कर्मियों के इलाज के लिए 4 लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं,” उन्होंने लोकसभा में कहा।