पुणे, 13 जनवरी 2022: राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनसीएल) में विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 10 जनवरी, 2022 को नगर स्तर पर केंद्रीय संस्थानों के लिए एक परिचर्चा प्रतियोगिता का आयोजन ऑनलाइन रूप से किया गया।
कार्यक्रम के आरंभ में हिंदी अधिकारी डॉ. श्रीमती स्वाति चढ्ढा ने सभी प्रतिभागियों और उपस्थित सदस्यों का स्वागत किया और विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य तथा रूपरेखा बताई । तत्पश्चात् प्रशासनिक अधिकारी श्री कौशल कुमार ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। उन्होंने सभी को विश्व हिन्दी दिवस की बधाई देते हुए आयोजन की पृष्ठभूमि की चर्चा की तथा विश्व हिन्दी दिवस मनाए जाने के संबंध में ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख करते हुए सभी प्रतिभागियों को शुभकामना प्रदान की । इसके उपरांत प्रतियोगिता आरंभ की गई, इसमें नगर स्तर के केंद्रीय संस्थानों से 28 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
निम्नांकित पांच विषयों पर सभी प्रतिभागियों ने अपने विचार बड़े ही सार्थक ढंग से प्रस्तुत किए ।
1) अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण का महत्व
2) हिन्दी की वैश्विक चुनौतियां और समाधान
3) बहुभाषिक देश में हिन्दी की स्थिति
4) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार की भाषा हिन्दी
5) संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी- दशा और दिशा
प्रतियोगिता समाप्त होने पर मुख्य अतिथि सह निर्णायक के रूप में उपस्थित डॉ. ओमकार नाथ शुक्ला (वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी, आईआईटीएम, पुणे) ने कहा कि विश्व हिन्दी दिवस सही मायने में हिन्दी की महानता के जश्न का माध्यम है। आज भले ही हमारे देश में ही कुछ लोग हिन्दी के उपयोग को लेकर कभी कभी बेवजह का विवाद खड़ा कर अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास करते दिखते हैं, लेकिन हर भारतीय के लिए गर्व की बात यह है कि दुनिया भर में अब हिन्दी को चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हिन्दी ऐसी भाषा है, जो प्रत्येक भारतीय को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाती है। दुनियाभर में आज 150 करोड़ से भी ज्यादा लोग हिन्दी बोलते हैं और जिस प्रकार वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी की स्वीकार्यता निरन्तर बढ़ रही है, वह पहले क्रमांक पर आसीन हो चुकी है।
दूसरे मुख्य अतिथि सह निर्णायक के रूप में उपस्थित श्री एम. के. मिश्र (वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी, वैमनीकॉम, पुणे) ने कहा कि आज विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर वैश्विक स्तर पर हिन्दी की लोकप्रियता तो पता चल रही है, लेकिन यह भी विचारणीय है कि संविधान के लागू होने के 72 वर्षों बाद हिंदी को सरकारी कामकाज के हर क्षेत्र में एक प्रभावी भाषा बन जाना चाहिए था,लेकिन हिंदी के तकनीकी स्तर पर प्रभुत्वकारी होने के बावजूद हिंदी को अभी भी अपने ही देश में वह स्थान नहीं मिला है जिसकी वह हकदार है। हमें ईमानदारी से यह प्रश्न स्वयं से पूछने की जरूरत है कि क्या हम सब स्वयं इसके प्रति सजग और समर्पित है। हम चाहते है हिन्दी राष्ट्रभाषा हो, विश्व भाषा हो, पर हम अपना काम अंग्रेजी में करते रहेंगे । हमें इस दिशा में आत्मनिरीक्षण की जरूरत है।
तत्पश्चात कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. एन. पी. अरगड़े ( प्रमुख वैज्ञानिक एवं प्रभाग प्रमुख- कार्बनिक रसायन प्रभाग) ने सभी प्रतिभागियों को विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप सभी का प्रतिभाग बहुत ही अच्छा रहा और आगे भी आप सभी के जुड़ने की उम्मीद करते है। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दी दिवस मनाए जाने के पीछे विश्व हिन्दी सम्मेलनों की बड़ी भूमिका है, पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 में हुआ था और वर्ष 2006 से विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा। इस बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा हमें इसे मनाने का आग्रह किया गया और इस प्रकार एनसीएल में हमने विश्व हिन्दी दिवस मनाए जाने की आज से शुरूआत की है।
कार्यक्रम के अंत में प्रशासनिक अधिकारी श्री सी. ए. बोध ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया । संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन हिन्दी अधिकारी डॉ. श्रीमती स्वाति चढ्ढा द्वारा किया गया ।