पटना, अप्रैल 18, 2021: खुदाबख्श लाइब्रेरी बचाओ-धरोहर बचाओ संघर्ष मोर्चा ने रविवार को वर्चुअल बैठक कर आगामी रणनीति पर चर्चा की और 25 अप्रैल को अपने-अपने घरों से पोस्टर-प्रदर्शनी के जरिए खुदाबख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से, बीएन काॅलेज, कैथोलिक चर्च, बिहार यंग मेंस इंस्टीट्यूट, पटना विवि के कई विभागों को तोड़ने के फैसले का विरोध करने का निर्णय किया।

इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री के नाम ऑनलाइन सिगनेचर अभियान भी चलाया जा रहा है। अब तक 3500 से अधिक सिगनेचर हो चुके हैं। जिसमें बिहार के बाहर के शिक्षाप्रेमियों की भी बड़ी भागीदारी है। देश-विदेश से भी लोग इस ऑनलाइन सिगनेचर कैंपेन में हिस्सा बन रहे हैं।

मोर्चा के संयोजक कमलेश शर्मा ने वर्चुअल प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि बैठक में सरकार के नकारात्मक रूख की निंदा की गई। उनके साथ प्रेस वार्ता में जामिया मिलिया इसलामिया के प्रोफेसर अजय प्रसाद और शिक्षाविद् गालिब भी उपस्थित थे।

प्रेस वार्ता के पहले आयोजित बैठक में बिहार और बिहार के बाहर के कई हस्तियों ने हिस्सा लिया। मुख्य रूप से मुंबई के पत्रकार मो. वजीहुद्दीन, जामिया मिलिया इसमालिया के प्रोफेसर अजय प्रसाद, डाॅ. अलीम अख्तर, प्रोफेसर सफदर इमाम कादरी, डाॅ. पीएनपी पाल, प्रो. भारती एस कुमार, समकालीन लोकयुद्ध के संतोष सहर, एआईपीएफ के अभ्युदय, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, एहतेशाम कटौनिया, एसडीपीआई के महबूब आलम, आसमां खां, आइसा नेता कार्तिक, आदित्य कुमार आदि ने बैठक में अपनी बातों को विस्तार से रखा।

कोविड के संक्रमण को देखते हुए यह तय किया गया कि फिलहाल सोशल मीडिया के जरिए इस अभियान का प्रचार-प्रसार किया जाए। सरकार का रवैया टालमटोल का है। इसलिए पथ निर्माण व पुल निर्माण विभाग से लिखित में जवाब मांगा जाना चाहिए। इस पर सहमति बनी कि इसे एक जन-आंदोलन की शक्ल देना है। नागरिक समाज किसी भी कीमत पर खुदाबख्श लाइब्रेरी और अन्य धरोहरों को तोड़ने की इजाजत नहीं दे सकता। इन धरोहरों की रक्षा की जवाबदेही सरकार की है, इसलिए सरकार टालमटोल छोड़े और तत्काल इस मामले का हल निकाले।