पटना, 5 जून, 2021: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल करने की तैयारी में लगी सरकार ने बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ने-लिखने संबंधी पुस्तके बनाने की पहल तेजी से शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के निर्देश पर प्राथमिकी, माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों द्वारा बोली जाने वाली भाषा की सूची सभी जिलों से मांगी गई है। इसके अलावा भाषा सूची को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को दिया गया है।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बच्चों को शिक्षा का माध्यम मातृभाषा तथा क्षेत्रीय भाषा में करने की घोषणा की थी। इसलिए ही मगही, भोजपुरी मैथली, अंगिका और बज्जिका और उर्दू सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करने की कोशिश शुरू कर दी गई है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के मुताबिक, बच्चे अपनी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा में चीजें जल्दी समझते और सीखते हैं। यही वजह है की नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि कम से कम वर्ग पांच तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होना चाहिए। उन्होंने कहा हम प्रयास करेंगे कि सबंधित मातृभाषा के विद्वानों और शिक्षाविदों के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य-पुस्तके तैयार कराकर बच्चों को उपलब्ध कराई जाए। शिक्षा में सुधार के साथ साथ बच्चे कितना सिख रहे हैं इसपर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा सरकार बालिका शिक्षा को भी प्राथमिकता देते में तेजी लाने जा रही है।