हाजीपुर, 4 जून 2021: पर्यावरण संरक्षण में रेलवे का योगदान अति महत्वपूर्ण है । भारतीय रेल दुनिया में सबसे बड़ा हरित रेलवे बनने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है । इसी कड़ी में पूर्व मध्य रेल द्वारा व्यापक पैमाने पर रेल विद्युतीकरण, ट्रेनों का मेमू रेक में परिवर्तन, एचओजी, बॉयो टॉयलेट आदि की दिशा में काफी कार्यों का निष्पादन किया गया है ।
विद्युतीकरण: बेहतर एवं तेज कम्यूनिकेशन, यातायात व्यवस्था की बिना किसी भी सभ्यता का विकास संभव नहीं है ऐसे मे जो यातायात के साधन देश की तरक्की के लिए उपयोग किए जा रहे हैं वो पर्यावरण मित्रवत हों इसका ध्यान भी रखना चाहिए। इस दिशा मे एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रेल मंत्रालय द्वारा भारतीय रेल पर स्थित सभी बड़ी लाइनों को विद्युतीकृत करने का निर्णय लिया गया और अब मिशन मोड मे कार्य करते हुए ‘भारतीय रेल’ दुनिया की सबसे बड़ी हरित रेल बनने की ओर अग्रसर है तथा इसको सन 2030 तक ‘जीरो कार्बन उत्सर्जक’ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
भारतीय रेल के इस महत्वाकांक्षी कदम को सफल बनाने के लिए पूर्व मध्य रेल द्वारा किए गए सतत् प्रयासों एवं सुधारों के फलस्वरूप पूर्व मध्य रेल के 87 प्रतिशत रेलखंड को विद्युतीकृत किया जा चुका है जिन पर विद्युत इंजन से ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। फलस्वरूप पर्यावरण सुधार के साथ ही ईंधन की बचत हो रही है और समय पालन में भी सुधार हुआ है । वर्ष 2020-21 में लगभग 311 रूट किमी. का विद्युतीकरण किया गया । इस क्रम में कुल 4220 रूट किलोमीटर में से 3640 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा हो चुका है । पूर्व मध्य रेल के 05 मंडलों में से समस्तीपुर मंडल के कुछ रेलखंडों को छोड़कर शेष 04 मंडल शत-प्रतिशत किए जा चुके हैं ।
एचओजी: पर्यावरण संरक्षण में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हुए पूर्व मध्य रेल की स्भ्ठ कोचों से परिचालित होने वाली लगभग 58 टेनों में हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम (भ्व्ळ) लगा दिया गया है । इनमें राजेंन्द्रनगर टर्मिनल-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, सहरसा-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस, सहरसा-पटना जनहित एक्सप्रेस, गया-नई दिल्ली महाबोधि एक्सप्रेस सहित अन्य प्रमुख ट्रेनें शामिल है । इससे रेल राजस्व की भी बचत हो रही है ।
आई.एस.ओ. प्रमाण-पत्र: पर्यावरण संरक्षण में अग्रिम भूमिका के लिए राजेंद्रनगर टर्मिनल स्टेशन को ग्रीन स्टेशन की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है । इसी तरह राजेंद्रनगर कोचिंग कॉम्प्लेक्स डिपो प्ैव्-9001 – 14001 प्रमाणित है तथा यह भारतीय रेल के टॉप 5 कोचिंग डिपो में से एक है । यहां पर अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग से कोचों के अनुरक्षण की क्षमता है । कोचिंग डिपो/दानापुर पूर्व में बेतिया, सगौली, रक्सौल, नरकटियागंज एवं बापूधाम मोतिहारी स्टेशनों को पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के लिए आई.एस.ओ. प्रमाण पत्र दिया जा चुका है ।
बॉयो टायलेट: भारतीय रेलवे दूनिया में पहली रेलवे है, जिसने ट्रेनों में पर्यावरण अनुकूल बायो टायोलेट परियोजना को लागू किया है । ‘‘स्वच्छ भारत अभियान‘‘ के तहत् पूर्व मध्य रेल की सभी ट्रेनोें को बॉयो टॉयलेट से युक्त किया जा चुका है ।
उर्जा संरक्षण: पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत अन्य महत्वपूर्ण विषयों जैसे उर्जा संरक्षण एवं जल संरक्षण के क्षेत्र में पूर्व मध्य रेल द्वारा विशेष कार्य किया जा रहा है । पूर्व मध्य रेल के कार्यालय भवनों एवं स्टेशनों पर सौर उर्जा के पैनल लगाए गए हैं । इसी प्रकार जल संरक्षण के लिए रेल वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया गया है । रेलवे के ज्यादातर भवनों में यह व्यवस्था क्रियाशील है ।
मेमू रेक में बदलाव: वर्तमान में पूर्व मध्य रेल की अधिकांश पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन मेमू रेक के साथ किया जा रहा है ।
उपरोक्त के अलावा पर्यावरण संरक्षण के अन्य क्षेत्रों में भी काफी कार्य किए गए हैं । वर्तमान परिवेश में भारतीय रेल सबसे संरक्षित, सुरक्षित, गतिमान, हरित एवं पर्यावरण मित्रवत यातायात साधन बनकर उभरी है ।