सांप्रदायिक सद्भावना की राजभाषा हिन्दी में शपथ का पठन श्री आलोक तिवारी, भा.र.ले.से, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक तथा अँग्रेजी शपथ का वाचन श्री स्वप्निल हनमाने, भा.र.ले.से, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिकारियों ने सांप्रदायिक सद्भावना की शपथ को उनके पीछे दोहराया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महोदय ने सबसे पहले कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिकारियों को उनके गरिमामयी उपस्थिती के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रधान नियंत्रक महोदय ने अपने प्रभावशाली सम्बोधन में इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे हम खुद सांप्रदायिक सद्भावना के दूत बन सकते हैं और सांप्रदायिक अलगाववाद फैलाने वाले विभिन्न तत्वों से दूर रह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सोने कि चिड़िया कहे जाने वाले भारत देश को जब अंग्रेजों ने वापस दिया तो इसके टूटने बिखरने के पूरे आसार थे, लेकिन भारत के पास अध्यात्म, कौशल, एकता, सद्भावना, आपसी प्रेम भाईचारा जैसी कई ऐसी शक्तियाँ थी जिन्होंने भारत की उन्नति व उत्थान के बीच आई किसी भी बाधा विपदा को टिकने नहीं दिया और यही समूची शक्तियों ने भारत को एक सबल प्रगतिशील और
शक्तिशाली राष्ट्र बनाया। 2047 तक यही शक्तियाँ “भारत” एक सुपरपावर राष्ट्र बनाने में कारगर रहेंगी, ऐसी भविष्यवाणी भी उन्होने की। इसके लिए राष्ट्रियता की भावना और देश के प्रति आस्था और निष्ठा के अंतर्निहित भाव के होने की आवश्यकता पर उन्होने ज़ोर दिया। इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सदियों से भारत ने सभी धर्मों को स्वीकारा है और आगे भी सहृदयपूर्वक सभी का स्वागत करता रहेगा। “अनेकता में एकता”- यही भारत की आन, बान एवं शान है।
अंत में उन्होने देश और समाज में व्याप्त जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, सांप्रदायवाद जैसी कुरीतियों-कुप्रथाओं को दूर कर अपने अंदर सद्भावना के पवित्र दीप को प्रज्ज्वलित करने की सभी को सलाह दी।
इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन श्री ब्रजेश शुक्ल ने सुचारु रूप से किया।