नई दिल्ली,10 मई, 2021: केंद्र ने रविवार को कहा कि अनियंत्रित मधुमेह और लम्बे समय तक आईसीयू में रहने वाले कोरोना मरीज में म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण पाया जा रहा है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। फंगस संक्रमण खासकर उन लोगों को संक्रमित करते हैं जिनका इलाज चल रहा है और जिनमें पर्यावरण में मैजूद  जर्म्स से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (ICMR ) द्वारा बीमारी की निगरानी जांच और इलाज के लिए तथ्य आधारित कुछ सलाह जारी किये गए हैं। आईसीएमआर-स्वास्थ्य मंत्रालय के इस परामर्श में कहा गया है कि इस बीमारी का सबसे बड़ा खतरा, मधुमेह का अनियंत्रित होना, स्टेरॉयड की वजह से प्रशिक्षण क्षमता में कमी, लम्बे समय तक आइसीयू में रहना, नुकसानदेह व वेरीकोनाजोल पद्धति से इलाज है।

इस बीमारी के क्या है लक्षण

मधुमेह और कमजोर इम्युनिटी वाले कोरोना मरीजों में बुखार, नाक सूजना, आँखों और नाक के पास के त्वचा का लाल होना, चेहरे के एक और दर्द, नाक की रेखा पर कालापन, दर्द के साथ-साथ धुंधला दिखाई देना, सीने में दर्द, सिर दर्द, खून की उल्टी और सांस लेने में टिक्कत होने पर म्यूकोरमाइकोसिस आपको हो सकता है।

परामर्श में कहा गया है कि हवा में मौजूद फंगी सांस के रास्ते शरीर के अंदर पहुंच जाता है जिससे लोगों का साइनस और फेफड़ा प्रभावित हो जाता है। अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

कैसे हो रोकथाम

जारी परामर्श में कहा गया है कि इस बीमारी से बचने के लिए कोरोना मरीज को छुट्टी देने के बाद भी ब्लड शुगर की निगरानी की जानी चाहिए, स्टेरॉयड का उचित और सही समय पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ऑक्सीजन पद्धति के दौरान नमी के लिए साफ और संक्रमण मुक्त पानी का इस्तमाल किया जाना चाहिए। एंटीबॉयोंटिक और एंटीफंगल दवा का सही तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए।