पटना, 24 जून, 2021: लोजपा में चल रहा सियासी संग्राम बढ़ता ही जा रहा है। इन सब के बीच तेजस्वी यादव बुधवार को पटना पहुंचे। पटना पहुंचते ही उन्होंने चिराग पासवान को साथ आने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने चिराग को याद दिलाया कि कैसे लालू प्रसाद ने 2010 में रामविलास पासवान को राज्यसभा के लिए नामांकित होने में मदद की थी, जब लोजपा के पास कोई सांसद या विधायक नहीं था।
तेजस्वी ने चिराग के सामने ऐसे समय पर यह प्रस्ताव रखा है जब चिराग पांच जुलाई से हाजीपुर से अपनी बिहार यात्रा शुरू कर खोई हुई राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं। उनके चाचा पशुपति पारस के गुट का लोजपा पर कब्जा हो गया है।
जदयू का नाम लिए बिना तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्हें लोजपा में मचे घमासान के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो षड्यंत्र रचने में माहिर होते हैं। इसके बाद ये लोग राज्य में राजनीतिक घटनाओं के बारे में अनभिज्ञता भी जताते हैं।’ तेजस्वी नीतीश के उस बयान का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें लोजपा में जारी घमासान की जानकारी नहीं है।”
तेजस्वी ने कहा, “इसी अज्ञानता के कारण ही बिहार इस तरह की स्थिति में आ गयी है। यहां बेरोजगारी और भुखमरी हो गई है। आरजेडी ने 2010 में पासवान जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने में मदद की थी जब लोजपा के पास कोई सांसद या विधायक नहीं था।” चिराग ने तेजस्वी की टिप्पणी पर अब तक कोई बयान नहीं दिया है, वहीं लोजपा नेता ने भाजपा से अपने मोहभंग का साफ संकेत दिया हैं।
चिराग ने अपनी पार्टी के टूटने का जिम्मेदार नीतीश कुमार को ठहराया था। उन्होंने भाजपा की चुप्पी पर हैरानी जताई है। तेजस्वी यादव के करीबी नेता कहाना है कि ‘तुरंत नहीं’ मगर दोनों के एक साथ आने का राजनीतिक तर्क तो है।