भोपाल, 19 अगस्त 2021: मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने बताया कि नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा गैर घरेलू क्षेत्रों जैसे शासकीय, अर्द्धशासकीय, निजी संस्थागत क्षेत्र, सामाजिक एवं वाणिज्यिक संस्थान, औद्योगिक संस्थान आदि की छतों पर सोलर रूफटॉप प्लांट की स्थापना की जाती है। वहीं घरों की छतों पर सोलर रूफटॉप प्लांट की स्थापना ऊर्जा विभाग की विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा की जाती है। श्री डंग ने कहा कि आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के चलते संस्थानों और घरों में सोलर प्लांट लगाने की ओर लोगों की रुचि बहुत तेजी से बढ़ी है। जन-सामान्य को सोलर रूफटॉप स्थापना से संबंधित जानकारी देने के लिये ऊर्जा विभाग द्वारा प्रदेश में 23 और 24 अगस्त को अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री डंग ने बताया कि ऊर्जा विभाग द्वारा घरेलू क्षेत्र में एक से 10 किलोवॉट क्षमता तक के बैटरी बैंक रहित नेट मीटर आधारित सौर फोटोवोल्टाईक पावर प्लांट की स्थापना की जा रही है। संयंत्रों के स्थापना पर नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1-3 किलोवॉट क्षमता के लिए 40 प्रतिशत केन्द्रीय वित्तीय अनुदान और संयंत्र के शेष अंश अर्थात
3 किलोवॅाट से अधिक 10 किलोवॉट तक लिए 20 प्रतिशत केन्द्रीय वित्तीय अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा घरेलू क्षेत्र में प्लांट स्थापना के साथ अनुदान विमुक्ति भी की जाती है।

ऊर्जा विकास निगम द्वारा गैर घरेलू क्षेत्रों में सोलर रूफटॉप प्लांट की स्थापना की जाती है। निगम शासकीय, अर्द्धशासकीय भवनों के साथ विभिन्न संस्थाओं में नेट मीटर आधरित सौर रूफटॉप कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रहा है। अब इन संयंत्रों की स्थापना पर केन्द्रीय एवं राज्य अनुदान उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में संयंत्रों की लागत काफी कम हो जाने से इनकी स्थापना बिना किसी शासकीय अनुदान के भी लाभकरी सिद्ध हो रही है। संयंत्र से औसतन प्रतिदिन प्रति किलोवॉट 4 यूनिट विद्युत का उत्पादन संभावित है। निगम द्वारा परियोजना का क्रियान्वयन मुख्यत: कैपेक्स एवं रेस्को मॉडल के तहत किया जा रहा है।

कैपेक्स मॉडल में हितग्राही संस्थाओं को परियोजना पर होने वाला संपूर्ण पूंजीगत व्यय खुद वहन करना होता है। स्थापाना के बाद हितग्राही संस्था को संयंत्र से अगले 25 साल तक नि:शुल्क बिजली मिलेगी। वर्तमान वित्तीय वर्ष में कैपेक्स मॉडल में संयंत्रों की स्थापना रूपये 32,500 से 37,500 प्रति किलोवॉट पर की जा रही है।

रेस्को मॉडल में बगैर किसी व्यय (शून्य निवेश) किये विकासक इकाई द्वारा हितग्राही संस्थाओं को न्यूतम टैरिफ पर बिजली उपलब्ध कराई जाती है। निगम टैरिफ का निर्धारण और विकासक इकाइयों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर आमंत्रित निविदा के माध्यम से करता है। हितग्राही संस्थाओं को रेस्को मॉडल में काफी कम दर पर बिजली मिलती है। ऊर्जा विकास निगम द्वारा शासकीय एवं निजी क्षेत्रों में लगभग 15 मेगावॉट क्षमता के संयंत्रों के स्थापना रेस्को मॉडल और 25 मेगावॉट के संयंत्रों की स्थापना कैपेक्स मॉडल में की जा चुकी है।