पटना: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने बुधवार को लोकसभा में नियम 377 के तहत बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ और उससे होने वाली तबाही के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार की बड़ी आबादी बाढ़ की यातना से ग्रसित है। बिहार के दस जिलों में बाढ़ का प्रकोप सबसे अधिक है। मीडिया रिपोर्टों में लगभग 6.36 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से बाढ़ के कारण जान-माल की हानि हुई है। केंद्र और राज्य की तरफ से बाढ़ ग्रसित इलाके के परिवारों को अनुदान के तहत मदद में ₹6000 प्रति परिवार दिया जा रहा है। साथ ही परिवारों को जान-माल नुकसान के एवज में अलग से राशि उपलब्ध कराई जा रही है। मोदी सरकार के द्वारा लाभ इन लोगों को सीधे बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से अंतर्गत प्रभावित व्यक्ति या प्रभावित परिवार को उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बिहार के बाढ़ की स्थिति समझने के लिए बिहार और नेपाल की भौगोलिक स्थिति को समझना होगा। बिहार में बाढ़ के समस्या का मुख्य कारण नेपाल में बारिश के मौसम में बड़ी मात्रा में जल छोड़ना है। इससे बिहार का उत्तरी हिस्सा बुरी तरह चपेट में आ जाता है। कोसी, गंडक और बागमती नदी में एकाएक नेपाल द्वारा हजारों लाखों क्यूसेक जल डिस्चार्ज से जलस्तर बढ़ जाता है।

नदियों पर मिनी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बनाने का अनुरोध करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नेपाल से हुए समझौते के तहत वहां के पहाड़ी क्षेत्रों से बहने वाली नदियों के सामान्य बहाव और एकाएक जलस्तर ना बढे इसको सुनिश्चित करने के लिए बिहार में जिन छोटी नदियों में संभव हो उसमें मिनी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट/बराज बनाने से बूढ़ी गंडक के जलस्तर को नियंत्रित किया जा सकता है, क्योंकि यह सारी नदियां बंजरिया प्रखंड तक आते-आते मिल जाती है और बाढ़ की स्थिति को भयावह कर देती है। जैसे मेरे चंपारण में बूढ़ी गंडक, मसान, तिलावे और तियर नदी पर इस तरह के निर्माण होने से एक बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा। अतः चंपारण में बहने वाली इन नदियों पर मिनी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट /बराज बनाया जाए।