भोपाल : अप्रैल 03, 2021: अनादिकाल से भारतीय संस्कृति में रोगों के निदान के लिए आयुर्वेद से उपचार कारगर माना गया है। चरक भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रंथ हैं। आयुर्वेद ग्रंथ की रचना आचार्य चरक ने की थी। भारतीय जीवन शैली में आयुर्वेद शामिल रहा है। वर्तमान कोरोना संकट के समय आयुष ने संकटमोचक की भूमिका निभाकर रोग से लडऩे और मुक्त होने में सहायक बना है। मध्यप्रदेश सरकार ने दुनिया के समक्ष आए सबसे बड़े संकट कोविड-19 से मुक्ति के लिए आयुष पद्धति को अपनाया। कोविड-19 में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में विभिन्न औषधि एवं आहार विहार को अपनाकर कोरोना पर नियंत्रण प्राप्त किया। इस संकटकाल में मध्यप्रदेश शासन के आयुष विभाग ने जिस तरह सक्रियता से कार्य किया, वह उल्लेखनीय रहा।
आयुष विभाग ने आयुष चिकित्सालयों, औषाधालयों का उन्नयन करने के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और जिला चिकित्सालयों में आयुष विंग की स्थापना कर आयुष सेवा का प्रभावी क्रियान्वयन किया। भारत सरकार के सहयोग एवं मार्गदर्शन में अनेक स्तरों पर आयुर्वेद संबंधी शोध का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में भविष्य को दृष्टि में रखकर आयुर्वेद की शिक्षा को भी विस्तार दिया जा रहा है।
रोग प्रतिरोधक दवाओं का वितरण
मुख्यमंत्री जीवन अमृत योजना में प्रदेश के 1773 औषधालयों, 23 चिकित्सालयों, 36 आयुष विंग एवं 9 आयुष महाविद्यालय से संबद्ध चिकित्सालय द्वारा रोग प्रतिरोधक दवाओं का वितरण किया गया। यही नहीं, लॉकडाउन अवधि में 1847 दलों द्वारा होम्योपैथी, यूनानी, आयुर्वेद दवा एवं काढ़ा (रोग प्रतिरोधक) का वितरण घर-घर पहुँच कर किया गया। आयुष विभाग ने सबसे अहम कार्य प्रवासी मजदूरों की विशेष रूप से स्क्रीनिंग, स्वास्थ्य परीक्षण एवं औषधि वितरण का किया। कोविड-19 के क्वारेंटाइन, पॉजिटिव रोगियों, आयुष महाविद्यालय एवं कोविड केयर सेंटर में भर्ती रोगियों को ‘आरोग्य कषायम-20’ का सेवन कराये जाने से 39 हजार से ज्यादा रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिला।
भारत सरकार की सराहना
पंडित खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल द्वारा ‘आरोग्य कषायम-20’ का लक्षण रहित एवं अल्प लक्षण वाले कोविड-19 रोगियों में प्रभावों का आंकलन करने के लिये रेन्डमाइज्ड एवं नियंत्रित अध्ययन किया गया। भारत सरकार ने मध्यप्रदेश में हुए इस शोध की प्रशंसा की है। अब पीएमओ द्वारा इसका विश्लेषण किया जा रहा है। कोरोना केयर सेंटर होम्योपेथिक केन्द्र पर केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद नई दिल्ली के तत्वावधान में लक्षण रहित कोविड पॉजिटिव रोगियों को स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकाल के साथ चिन्हित होम्योपैथी औषधियों के तुलनात्मक प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। रोगियों में वायरल लोड का अनुसंधान शासकीय होम्योपैथी महाविद्यालय, भोपाल द्वारा किया जा रहा है। इसी क्रम में भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय से अधिसूचित मध्यप्रदेश के 4 जिले मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर और शहडोल में पाए जाने वाले आयुर्वेद औषधि पौधों का सर्वेक्षण एवं मानकीकरण पंडित खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल द्वारा किया जा रहा है।
विभाग के सभी मेडिकल, पैरामेडिकल, शासकीय एवं निजी आयुष महाविद्यालय के अंतिम वर्ष एवं स्नातकोत्तर के लगभग 12 हजार विद्यार्थियों को कोरोना संक्रमण संबंधी प्रशिक्षण ऑनलाईन दिया गया।
आयुष स्वास्थ्य सेवाएँ संबंधी उपलब्धि
भोपाल जिले के फंदा एवं बैरसिया ब्लाक में मधुमेह के बचाव के लिए कार्यक्रम आयोजित कर आयुर्वेद आधारित दिनचर्या, आहार-विहार एवं आयुर्वेद दवा से मधुमेह पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके बाद प्राप्त परिणामों का विश्लेषण किया जाएगा।
आयुष चिकित्सों के दल द्वारा घर-घर जाकर उनके स्वास्थ्य का सर्वे किया जा रहा है। अब तक 30 ग्रामों के 37 हजार परिवारों के करीब 2 लाख व्यक्तियों का सर्वेक्षण कर सर्वे रिकार्ड का डॉटाबेस सॉफ्टवेयर में दर्ज किया गया है। सर्वे परिणाम के आधार पर चिकित्सा शिविर, जागरूकता शिविर एवं योग शिविर का 15 दिवस के अंतराल में आयोजित किया जायेगा।
वर्ष 2021 में प्रदेश के चिकित्सा सुविधा विहीन क्षेत्रों में करीब 13 हजार चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर साढ़े 9 लाख से अधिक रोगियों को आयुष चिकित्सा का लाभ दिया गया। कोविड-19 के रोगियों को वितरित आयुष औषधि से लाभांवितों की संख्या मिलाकर 5 करोड़ 1 लाख 50 हजार 81 रही। आयुष महाविद्यालयों, चिकित्सालयों, औषधालयों एवं शिविरों के माध्यम से दवा वितरण एवं चिकित्सा की गई।
राष्ट्रीय आयुष मिशन की उपलब्धि एवं अधोसंरचना का विस्तार
सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पतालों में आयुष सेवाओं (एकीकृत चिकित्सा) उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 217 आयुष औषधालय सह-स्थापित किए गए। सभी जिला मुख्यालयों के एलोपैथिक चिकित्सालय में वर्तमान में 36 आयुष विंग का सफलतापूर्वक संचालित है एवं अन्य 22 आयुष विंग की स्थापना की स्वीकृति मिल चुकी है। साथ ही 550 आयुष औषधालयों का उन्नयन किया गया है एवं 9 शासकीय आयुष महाविद्यालय का संचालन किया जा रहा है। दस जिला आयुष कार्यालयों के नवीन भवन एवं 40 आयुष औषधालयों के नये भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है। प्रदेश में 50 बिस्तरों वाले चार आयुष चिकित्सालय भोपाल, नरसिंहपुर, इंदौर एवं मंडलेश्वर में निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में 32 योग एंड वैलनेस केन्द्र वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में स्वीकृत हो चुका है। प्रदेश के 75 ग्रामों में आयुष ग्राम योजना का संचालन किया जा रहा है। शासकीय आयुष महाविद्यालय अथवा जिला आयुष अधिकारी नोडल संस्था बनाये गए। नोडल संस्था पर संभाग व जिला आयुष अधिकारी के साथ समन्वय का दायित्व के साथ ही राष्ट्रीय एवं अन्य स्वास्थ्य योजनाओं का क्रियान्वयन में सहयोग करेंगे।
योजना में प्रदेश की गर्भवती महिला, शिशु एवं वृद्धावस्थाजन्य रोगों की देखभाल की जाएगी तथा आशा, आंगनवाड़ी एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आयुष पद्धति का प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्थानीय औषधिय वनस्पतियों की उपयोगिता, उनका संरक्षण-संवर्धन के लिए जागरूकता प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना। आयुष ग्रामों में आंवला, गिलोय, सहजन आदि पौधों का रोपण एवं उपयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करना तथा योग शिविरों का आयोजन।
आयुष शिक्षा का विस्तार एवं नवाचार
आयुष महाविद्यालयों में विशिष्ट रोग, निदान एवं चिकित्सा शोध पर जोर दिया जा रहा है। इस नवाचार में पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल में न्यूरोमस्कुलो स्केलेटल डिसआर्डर, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, रीवा में लीच थैरेपी, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, ग्वालियर में क्षार सूत्र, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, जबलपुर में आर्थराइटिस, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, बुरहानपुर में आस्टियो आर्थराइटिस, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उज्जैन में इनफर्टिलिटी, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, इंदौर में त्वचा रोग, शासकीय होम्योपैथिक महाविद्यालय, भोपाल में जेरिएटिक तथा शासकीय यूनानी महाविद्यालय, भोपाल में यूनानी पद्धति के द्वारा आस्टियोआर्थराइटिस के पाठ्यक्रम प्रस्तावित है। वर्ष 2020-2021 के शैक्षणिक सत्र में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, भोपाल में 10, उज्जैन में 3, रीवा एवं ग्वालियर में 1-1 विषयों एवं शासकीय होम्योपैथिक महाविद्यालय, भोपाल में 7 विषयों में स्नात्तकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया।
पंचकर्म चिकित्सा
प्रदेश में स्थित सभी आयुर्वेद महाविद्यालयों से संबद्ध चिकित्सालय एवं आयुष चिकित्सालयों में पंचकर्म की सुविधा दी जा रही है। आयुष एच.डब्ल्यू.सी. में चिहिंत पंचकर्म सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना प्रस्तावित है। पर्यटन स्थलों में भी पंचकर्म सुविधा पर्यटन विभाग के सहयोग से कराये जाने की योजना प्रस्तावित है।
होम्योपैथिक क्षेत्र में अनुसंधान
कोविड-19 के उपचार में एड-ऑन थैरेपी के रूप में हल्के, मध्यम एवं गंभीर रोगियों में होम्योपैथिक दवा के प्रभाव के अध्ययन का उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुआ है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के सहयोग से सोसायसिस के उपचार के लिये विशिष्ट ओपीडी का संचालन एवं परिणामों का विश्लेषण करना है।
स्वास्थ्य से समृद्धता का आत्मनिर्भर मॉडल
ग्रामीण क्षेत्रों में उच्चस्तरीय आयुष सेवाएं देने के लिए 362 प्रस्तावित आयुष हेल्थ एंड वेलनेस केन्द्रों की स्थापना की जाएगी एवं 45 नवीन आयुष ग्राम की स्थापना होगी। 31 दिसम्बर, 2020 तक 100 आयुष हेल्थ एंड वेलनेस केन्द्र शुरू किये गये है।
मानव समाज के लिए अप्रत्याशित रूप से खतरा बनकर उभरा कोविड-19 का आयुष विभाग ने सफलतापूर्वक सामना कर प्रदेश के नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में अपना अहम योगदान दिया। आयुष पद्धति के प्रति लोगों का लगाव धीरे-धीरे पुन: स्थापित हो रहा है। पुरातन काल की इस पद्धति को अपनाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में यह पद्धति लोगों के दिल में जगह बनाने लगी है।