लखनऊ, मई 6, 2021: पंचायत चुनाव के नतीजे इस बार BJP के लिए अच्छे नहीं माने जा रहे हैं। पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले सेमी फाइनल के रूप मे देखा जा रहा था। मगर इसमे BJP बुरी तरह पिछड़ती दिखी है। इसका प्रभाव अगले साल विधानसभा चुनावों पर भी हो सकता है।

इस राजनीतिक गतिविधियों से अवगत लोगों का कहना है कि सरकार ने अब विधायक और सांसदों से कहा है कि वे सोशल मीडिया पर आत्म प्रचार से पहले ऑक्सीजन प्लांट, अस्पताल के बेड बढ़ने और दवाईयों कि खरीद को बढ़ाने के लिए प्रयास करें।

एक केंद्रीय नेता के अनुसार, “लोगों मे ऐसी धारणा है कि भाजपा पश्चिम बंगाल हिंसा पर ध्यान दे रहीं है, मगर कोई भी इसमे दिलचस्पी नहीं ले रहा है। लोग महामारी से चिंतित हैं जिसने लगभग सभी को प्रभावित किया है। जबकी सरकार लोगों के मदद करने के लिए कदम उठा रहीं है, लेकिन मंत्री, सांसद और विधायक लोगों कि मदद करते हुए नहीं दिख रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि, “जनप्रतिनिधियों को आगाह किया गया है कि छवि और धारणा को बदलने से पहले, उन्हें किए गए कार्य का प्रमाण देना होगा।”

मंगलवार को आए नतीजे के हिसाब से भाजपा को अयोध्या वाराणसी, लखनऊ और गोरखपुर मे नुकसान उठाना पड़ा है। वाराणसी मे समाजवादी ने 40 मे से 15 सीटे जीती। जबकी भाजपा और बसपा ने सात-सात सीटें जीती। अयोध्या मे सपा 40 मे से 24 जीती और बड़ी बढ़त हासिल करने में कामयाब रही। वही भाजपा ने छह और बसपा ने पांच सीटें जीती। गोरखपुर मे 60 वार्डो में से 20 भाजपा और 19 सपा के खाते में गई।

बता दे कि उत्तर प्रदेश मे 2017 के विधानसभा चुनाव मे बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। पार्टी 320 सीट हासिल कर सत्ता में आई। लेकिन अब सवास्थ्य सेवाओं के बदत्तर हालत के लिए उनकी आलोचना कि जा रही है। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक बुधवार तक उत्तर प्रदेश मे 13,798 संक्रमितो कि मौत हो चुकी है। सोशल मीडिया ऑक्सीजन के लिए भाग रहे लोगों के वीडियो से भरा है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ऑक्सीजन कि किल्लत से कोरोना संक्रमितो कि मौत एक आपराधिक कृत्य है। यह किसी नरसंहार से से कम नहीं है।

जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, संदीप शास्त्री और लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर ने कहा कि 2019 के आम चुनाव के बाद BJP सरकार के प्रदर्शन मे तेजी से गिरावट आई है। आने वाले चुनाव पर सरकार कि प्रतिक्रिया के प्रभाव पर, उन्होंने बताया, “स्थानीय निकाय चुनाव विशेष रूप से स्थानीय विशिष्टताओं का परिणाम है। लेकिन पंचायत चुनाव के रुझान दर्शाते है कि मतदाताओं में निराशा है।”