भोपाल, 19 अगस्त 2021: राज्य शासन द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादकों के लिये 24 अगस्त, 2021 को मिन्टो हॉल में कार्यशाला आयोजित की जा रही है। कार्यशाला का उद्देश्य प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम-‘अ’) योजना के किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान करना है। इसमें विभिन्न निर्माता कम्पनियाँ, कंसलटेंट, बैंक आदि के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। किसानों को स्वेच्छा से विकासक चयन की स्वतंत्रता रहेगी। ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग समापन समारोह में शाम 4 बजे योजना में चयनित किसानों और विकासकों को लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) का वितरण करेंगे।

कुसुम-‘अ’ में प्रदेश को 300 मेगावॉट के विशेष पैकेज का आवंटन

भारत सरकार के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कुसुम-‘अ’ योजना के तहत प्रदेश में कुल 300 मेगावॉट क्षमता का आवंटन किया गया है। ऊर्जा विकास निगम द्वारा अब तक निविदा के दो चरणों में कुल 42 निविदाकर्ताओं का सौर ऊर्जा उत्पादक के रूप में चयन कर 75 मेगावॉट क्षमता का आवंटन किया जा चुका है। निविदाकर्ताओं में 40 किसान और 2 विकासक शामिल हैं। आवंटन में म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के 11 जिलों के 31 सब-स्टेशन के 32 सौर ऊर्जा उत्पादक, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के 4 जिलों के 4 सब-स्टेशन के 4 सौर ऊर्जा उत्पादक और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के 4 जिलों के 6 सब-स्टेशन के 6 सौर ऊर्जा उत्पादक शामिल हैं। संयंत्रों से उत्पादित विद्युत मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी द्वारा खरीदी जायेगी।

कुसुम-‘अ’ के तहत सौर संयंत्र की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों के चयनित विद्युत सब-स्टेशनों के लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में, किसानों द्वारा उनकी अनुपयोगी बंजर कृषि भूमि पर, 500 किलोवॉट से 2 मेगावॉट क्षमता के विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों को विकसित करने की योजना है। इन्हें विद्युत वितरण कम्पनी के चिन्हित 33/11 के.व्ही. सब-स्टेशनों से सीधे जोड़ा जायेगा। यदि आवेदक सोलर संयंत्र स्थापित करने के लिये आवश्यक इक्विटी की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं, तो वे डेवलपर के माध्यम से संयंत्र विकसित कर सकते हैं। डेवलपर द्वारा किसान को आपसी सहमति से तय दरों पर लीज रेंट दिया जायेगा।

सौर ऊर्जा उत्पादकों को एक वर्ष में 46 लाख रुपये की आय संभावित

एक मेगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिये लगभग 4 से 5 एकड़ भूमि की जरूरत होती है, जिससे एक वर्ष में लगभग 15 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। उत्पादित बिजली का क्रय म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दरों पर या उससे कम दरों पर किया जायेगा। आयोग द्वारा कुसुम-‘अ’ योजना में स्थापित संयंत्रों से उत्पादित बिजली के विक्रय के लिये 3 रुपये 7 पैसे की सीलिंग दर (टैरिफ) निर्धारित की गई है। इस प्रकार सौर ऊर्जा उत्पादकों को एक वर्ष में लगभग 46 लाख रुपये आय की संभावना है।

योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है। किसान को अपने खेत की अनुपजाऊ जमीन पर स्वयं या किसी निवेशक के साथ सोलर संयंत्र की स्थापना करने पर नियमित आय हो सकेगी। विशेषकर कम भूमि वाले किसानों की निर्भरता पूर्ण रूप से खेती पर नहीं रहेगी। उन्हें सोलर संयंत्र से एकमुश्त नियमित आय होती रहेगी।