बहादुरगढ़, 17 जून,2021: बहादुरगढ़ में एक बच्चे के मौत के मुंह से वापस आने की एक आश्चर्यचकित करने वाली घटना हुई है। यहां का एक परिवार अपने सात साल के बच्चे को अस्पताल से मृत समझ घर ले आया था। उसके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, मगर उसके बाद जो हुआ, उसने परिवार की खुशी वापस लौटा दी। अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच अचानक बच्चे की सांसें लौट आने की घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।

मौत को हराने वाले सात साल के इस मासूम का परिवार बहादुरगढ़ के किला मुहल्ला का रहने वाला है। परिवार के मुखिया विजय कुमार शर्मा, राजू टेलर के नाम से मेन बाजार में कपड़ा सिलाई की दुकान चलाते हैं। उनका बेटा हितेश भी उसी दुकान मे काम करता है। मौत को मात देने वाला बच्चा, हितेश का पुत्र कुणाल है। पिछले महीने कुणाल को बुखार आ गया था। जांच में पता चला उसे टाइफायड है। दवा दिलाई मगर ठीक नहीं हुआ। 25 मई को कुणाल को दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन हालत लगातार गंभीर होती चली गई। आखिर में उसकी सांस लगभग थम चुकी थी। डाक्टरों ने परिवार को बोला कि कुणाल को वेंटीलेटर पर रखना पड़ेगा, मगर कोई उम्मीद नहीं है। परिवार की भी आंखे भर आई थीं। परिवार के मुखिया विजय कुमार बताते है कि, ‘हम अस्पताल से घर लौटे ही थे। मेरे पास हितेश का फोन आया कि कुणाल की जिंदगी आधे घंटे की बची है। हम हड़बड़ा गए। फिर थोड़ी देर बाद फोन पर हितेश ने कहा कुनाल नहीं रहा। सभी रोने लगे। घर मे दुख का माहौल था।

विजय कुमार बताते हैं, ‘कुणाल को दिल्ली में दफनाने पर विचार हो रहा था, लेकिन बच्चे की दादी यानी विजय कुमार, पत्नी आशा रानी ने कहा कि उन्हें अपने पौते का मुंह देखना है। उन्होंने कहा बच्चे को घर ले आओ। लिहाजा हम उसे एंबुलेंस से घर लेकर आ गए। जब एंबुलेंस से कुनाल को विजय कुमार के बड़े बेटे की पत्नी अन्नु शर्मा ने उठाया तो उसे कुछ धड़कन महसूस हुई। इसके बाद बच्चे को फर्श पर लिटाया और उसको मुंह से सांस देना शुरू कर दिया। विजय कहते है, मैंने और मेरे दोनों बेटों ने उसको खूब जोर-जोर से सांस दी। इतने में कुणाल के शरीर में हलचल शुरू हो गई। जैसे ही कुनाल के शरीर में हलचल हुई घर पर जमा लोगों ने भी जयकारे लगाने शुरू कर दिए। वहां मौजूद लोगों के आश्चर्य और खुशी का ठिकाना नहीं था।’

विजय कुमार कहते हैं कि ‘यह हमारे ऊपर भोलेनाथ की कृपा और चमत्कार ही था जो कुणाल वापस लौट आया।  पता नहीं भगवान ने किस तरह जिंदगी की कड़ी जोड़ दी।’